
साक्षात्कार
साक्षात्कार-कर्ता :- कृष्ण कुमार अजनबी
साक्षात्कार :- कवयित्री सुश्री सरोज कंसारी जी
सवाल:1.आपका शुभनाम और तखल्लुस, जन्म कब, कहाँ, शिक्षा-दीक्षा, पिता-माता व पारिवारिक पृष्ठ-भूमि पर विस्तार से जानकारी दीजिएगा ?
जवाब:1 जी मैं सुश्री सरोज कंसारी, जन्म 20 सितंबर को नवापारा राजिम में हुआ, शिक्षा हायर सेकंडरी तक शास.कन्या शाला नवापारा, स्नातकोत्तर एम.ए.राजनीति राजीव लोचन कॉलेज राजिम से और बी. एड , पिता स्व.परभुराम कंसारी, माता श्रीमती बिजली बाई कंसारी, परिवार में हम तीन भाई व दो बहिन हैं, पिता का साथ शुरू से ही नहीं मिला । मां ने अपनी मेहनत से अति संघर्ष कर आर्थिक अभाव से जूझते हुए हम सबका पालन-पोषण किया । भाई ज्यादा पढ़ नहीं पाए पर हम दोनों बहनों को उन्होंने बहुत प्रोत्साहित किया व मजदूरी कर हमें शिक्षा दिलाई ।बहिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है। बाप-दादा की कोई ख़ास संपत्ति नहीं है। जो भी किया हमने अपनी मेहनत से किया है । आज जो भी है मां के आशीर्वाद से है ।
सवाल 2. लेखन की ओर कब कैसे आकृष्ट हुईं और पहली रचना कब कैसे रची गई ? क्या किसीने प्रोत्साहित किया अथवा स्वतः आत्म प्रेरित हुईं ?
जवाब 2. रोटी कपड़ा और मकान की समस्या की पूर्ति किसी भी इंसान के लिए बहुत जरुरी है; चूंकि खुद का आवास न होने और कोई ठोस आर्थिक आधार न होने से अभाव व तनाव की स्थिति में रहने की वजह से हमेशा शांत एकांत रहने की मेरी आदत थी। कहीं कोई अखबार पत्र-पत्रिका मिल जाए तो उसमें कुछ कविता-कहानी-लेख आदि पढ़कर बहुत अच्छा लगता। दूसरों को पढ़ती तो मन में बहुत से भाव उमड़-घुमड़ आते । शुरू से ही गंभीर स्वभाव होने के कारण मन की बातों को लिखने की आदत हो गई । पहली रचना किराए के मकान में चिमनी की लौ में मैं ने लिखी। विभिन्न समस्याओं के बीच रहकर ..”जीवन फूलों की सेज नहीं ; कांटों पर भी चलना पड़ता है..”लिखी खुद को हिम्मत देने के लिए।
सवाल:3. आपकी पहली रचना कब, कहाँ से प्रकाशित हुई ? प्रसन्नता तो हुई होगी ? पहली अनुभूति कैसी रही ?
जवाब:3. पहली रचना राजीव लोचन कॉलेज से प्रकाशित हुई कॉलेज की पत्रिका में।
अपनी रचना देखकर उदास जीवन में उम्मीद की मुझे एक किरण मिली। तब से लगातार डायरी में लिखती रही हूँ। ऐसे लगा जैसे जीने की कोई वजह मिल गई है।
सवाल:4. कौन- कौन सी पत्र पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं छ्प चुकी हैं ? इस पर पाठकों की प्रतिक्रियाएं कैसी रही ?
जवाब:4 बहुत सी पत्र पत्रिकाओं में सैकड़ों रचनाएं लगातार छपी हैं। दिल्ली,वाराणसी, जयपुर से काव्य प्रहर साझा काव्य संकलन में, दैनिक अजय उजाला, साप्ताहिक खबर गंगा राजिम, संस्कार न्यूज , दैनिक राजधानी रिपोर्टर राजनांदगांव से लगातार आलेख आ रहे हैं। पाठकों का असीम प्रेम मिलता है। उन्हीं के प्रोत्साहन से इतना लिख पाती हूं।
सवाल:5. साहित्य के क्षेत्र में आप कबसे जानी-पहचानी जाने लगीं ? अर्थात आपको एक नई पहचान मिली ?
जवाब:5 साहित्य के क्षेत्र में 2006 में राजधानी की प्रतिष्ठित साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था वक्ता मंच रायपुर में राज्य स्तरीय काव्य लेखन स्पर्धा में छत्तीसगढ़ में तृतीय स्थान प्राप्त हुआ । एक बड़े समारोह में मुझे सम्मानित किया गया वृंदावन हाल में । तब से एक नई पहचान कवयित्री के रूप में मिली।
सवाल:6. किन किन विधाओं में आपकी रचनाएं उपलब्ध है ? वास्तव में किस विधा में आपको सफलता अधिक मिली है ?
जवाब: 6 गद्य पद्य दोनों में रचनाएं हैं।। लघुकथा, कहानी, आलेख, विचार प्रेरक वाक्य भी लिखे हैं मैं ने। दोनों में सफ़लता मिली है।
सवाल:7. कभी साहित्य में या साहित्य से आत्मसंतोष मिला है ? अथवा कोई गहरा अफसोस ?
जवाब:7 साहित्य से तो जीवन को एक नया मोड़ मिला है।साहित्य एक अथाह सागर के समान हैं जिसमे डूबने से बहुत ही सुकून मिलता है।अफसोस जैसी कोई बात ही नहीं हैं।
सवाल:8. किसे आप अपना आदर्श मानती हैं ? और किन किन साहित्यकारों का आपको सान्निध्य मिला ? किसी से मिलने की खास तमन्ना है ?
जवाब:8 परिवार को अपना आदर्श मानती हूं जिसने जीवन के हर मोड़ पर मुझे जीने के लिए जूझना, साहस करना, सहना और आगे बढ़ना सिखाया है। दैनिक अजय उजाला राजिम के प्रधान संपादक अजय देवांगन जी ने मेरी लेखनी को हमेशा से अपने अखबार में स्थान दिया है और लिखने के लिए प्रोत्साहित किया है। समय समय पर फोन कर आवश्यक सुझाव और प्रेरणा देते रहे हैं। उनका मैं सदैव आभारी रहूंगी । राजिम टाइम्स के संपादक तुकाराम कंसारी जी, जितेंद्र सुकुमार साहिर जी गजलकार, संतोष सोनकर मंडल जी, गोकुल सेन जी, संतोष सेन व टीकम सेन जी .. इन सभी का मार्गदर्शन और स्नेह हमेशा ही मिलता रहा है, मुझे वरिष्ठ साहित्यकार सुशील भोले जी से मिलने की इच्छा है।
सवाल:9. किन किन साहित्यिक संस्थान अथवा मंच से आप सम्बद्ध रही हैं ?
जवाब 09.वक्ता मंच रायपुर, काशी कविता मंच, साहित्यिक मित्र मंडल जबलपुर, शब्द सुधा साहित्य मंच उत्तराखंड, अंतरराष्ट्रीय काव्य हिंदुस्तान मंच, परिषद साहित्य मंच, काव्य संसद छत्तीसगढ़, प्रयाग साहित्य मंच राजिम , दिशाबोध विभूति मंच, छ. ग. उद्घोषक संघ, वेंकटेश साहित्य मंच, काव्य के रंग , साहित्य सेवक, जैसे लगभग पचास राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंच से जुड़ी हूँ। अभी एक बड़े साहित्य परिवार के रूप में रत्नांचल जिला साहित्य समिति गरियाबंद का मुझे सान्निध्य मिला है।
सवाल:10. अब तक कोई विशेष उपलब्धि मिली है ? ऐसा आप मानती हैं ?
जवाब:10 अनमोल मानव जीवन और अपनों का साथ से बढ़कर और कोई उपलब्धि नहीं हो सकती। साहित्यकारों का साथ पाठकों का प्यार , मित्र ,साहित्य सृजन और परिवार मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है।
सवाल:11.क्या आप पुरस्कार अथवा सम्मान में विश्वास रखती हैं ? कौन कौन से पुरस्कार या सम्मान से आप नवाजी जा चुकी हैं ? कोई विशेष आकांक्षा हो तो बताइए ?
जवाब:.पुरस्कार जीवन में आगे बढ़ने हेतु किसी हुनर को प्रोत्साहित करने और आत्मविश्वास बढ़ाने का अच्छा माध्यम हो सकता है। हजारों पुरस्कार सम्मान मिले हैं अब तक।काव्य दूत, मंथन साहित्य सम्मान
मातृ शक्ति, सुंदरलाल शर्मा साहित्य सम्मान,
नवोदित रचनाकार सम्मान, रोग निदान चिकित्सा सम्मान, सावित्री बाई फुले शिक्षा क्रांति सम्मान, काव्य अलंकार, राजिम कुंभ मीडिया सम्मान, नारी शक्ति अलंकरण वक्तामंच रायपुर,
शराब विरोधी योद्धा सम्मान, अखिल भारतीय ऑनलाइन काव्य स्पर्धा सम्मान, कोरोना विजेता सम्मान न्यूज़ 4P रायपुर, बेस्ट मंच संचालिका दैनिक भास्कर,अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर सम्मान, समाज गौरव सम्मान कंसारी समाज, राजिम कुंभ काव्य पाठ,आदि । मेरी और कोई आकांक्षा नहीं है।
सवाल:12.. अगले जनम में आप क्या बनना पसंद करेंगी और क्यों ? इस जनम से आप संतुष्ट हैं या नहीं ?
जवाब:12. इस जनम में पूर्ण रूप से संतुष्ट हूं और कुछ बनने की मेरी इच्छा नहीं है।
सवाल:13. अब तक आपकी कितनी किताबें छ्प चुकी है और कौन- कौन सी व कहां कहाँ से ? आगामी योजना आपकी क्या है ?
जवाब:13.अभी तक मेरी एक किताब छपी हैं सरोज कंसारी का रचना संसार जिसमें गद्य और पद्य दोनों हैं। वैभव प्रकाशन रायपुर से। आगे काव्य और गद्य दोनों को अलग _अलग छपवाने की योजना हैं।
सवाल:14. प्रकाशन को लेकर कोई सुखद अनुभूति अथवा कटु अनुभव है तो बताइएगा ?
जवाब:14. जी नहीं।
सवाल:15. साहित्य मनुष्य के लिए क्या आवश्यक है अथवा एक व्यसन मात्र ?
जवाब:15. साहित्य जीवन जीने की एक सुंदर कला देता है ।जिसके साथ रहकर हम कभी तन्हा नहीं होते । यह हर परिस्थिति में संभलना खुश रहना और जीने के लिए एक नए संसार का निर्माण कराता है। जहां सिर्फ आत्मशांति होती है। हर किसी के लिए बेहद उपयोगी है साहित्य।
सवाल:16. आपकी रूचि और किन किन में है ? समय कैसे निकाल पाती हैं ?
जवाब:16, लेखन के साथ सांस्कृतिक, सामाजिक गतिविधि, मंच संचालन, न्यूज़ बनाना, भजन गीत, आदि में रूचि है मेरी।
सवाल:17. जीवन यापन हेतु आप करती क्या हैं ? नौकरी,व्यापार, कृषि या फिर अन्य कोई कर्म ?
जवाब:17. जी सरस्वती शिशु मंदिर उच्च. माध्यमिक विद्यालय नवापारा में वरिष्ठ शिक्षिका पद पर कार्यरत हूं।
सवाल:18. क्या आप अपने बच्चों को भी अपनी जैसी (कवि, लेखक, शायर या साहित्यकार ) बनाना चाहेंगी ? हां तो क्यों और नहीं तो क्यों नहीं ?
जवाब:18. अविवाहित हूँ।
सवाल:19. क्या आप अपने आपको सफल मानती हैं ? हां तो इसका श्रेय किसे देंगी ? यदि सफल नहीं हैं तो वजह क्या है ?
जवाब:19.सफलता असफलता तो जीवन के अंग हैं । हर उस इंसान का हमारी सफलता में योगदान होता है : जिनसे हम आत्मीय रूप से जुड़े हैं।जिनसे मिलकर आपसी प्रेम करूणा दया स्नेह सहयोग के भाव मिलते हैं। जिनके व्यक्तित्व से हम जाने अंजाने में बहुत कुछ जीवन भर सीखते ही हैं। साहित्य का मुझे उतना ज्ञान नहीं। बस लिख लेती हूं पर जैसी भी हूं जहां हूं खुश हूं। जिसका पूरा श्रेय मेरी मां, बहिन कल्याणी कंसारी और भाईयों को जाता है।
सवाल:20. आपको नहीं लगता कि आज की पीढी किताब से दूर भाग रही है ? अर्थात पढने में रूचि कम हो गई है ? इसका कारण क्या हो सकता है ?
जवाब:20. जी बिल्कुल किताब से दूर आज की पीढ़ी की एक अलग ही दुनिया है । सोशियल मिडिया में अधिक व्यस्त रहने के कारण किताब से दूरी बनी है ।
सवाल:21. मनोरंजन के साधनों (टीवी, फेसबुक, इन्टरनेट व मोबाइल ) को आप साहित्य का सहायक मानती हैं या वाधक और कैसे ?
जवाब:21. सभी साहित्य में सहायक हैं बस सभी की अपनी सोच है अगर सही उपयोग करें तो सोशियल प्लेटफार्म पर बहुत सी जानकारी प्राप्त करके हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं बस अपनी सोच को सही दिशा देने की जरूरत है।
सवाल:22. पाठकों और श्रोताओं
की संख्या बढाने हेतु क्या किया जा सकता है ?
जवाब:22. पाठकों और श्रोताओं की संख्या बढ़ाने के लिए समय समय पर काव्य गोष्ठी साहित्यिक स्पर्धा समसामयिक विषय पर चर्चा, पाठकों और श्रोताओं के सुझाव कार्यक्रम आयोजित किया जा सकता है।
सवाल:23. साहित्य का भविष्य उज्जवल है या अंधकार ? क्या किया जाना चाहिए ?
जवाब:23. साहित्य का भविष्य निश्चित ही उज्ज्वल है । जिसके सान्निध्य में जिंदगी बेहद खूबसूरत लगती है।
सवाल:24. प्रेम को आप किस रूप में परिभाषित करना चाहेंगी ? क्या प्रेम की अनुभूति नई सर्जना को बल प्रदान करती है या नहीं ?
जवाब 24. प्रेम से ही मनुष्य का जीवन पल्लवित पुष्पित और सुगंधित होता है। बिना प्रेम के जीवन बंजर भूमि के समान है। नफरत पूर्ण जिंदगी जहर है जिसमे सिर्फ कड़वाहट होती है। हर मनुष्य को प्रेम की प्यास होती हैं सुप्त मन में प्रेम के स्पर्श से जीवन को नई गति मिलती है। नई सर्जना को भी हिम्मत प्रेम से ही मिलती है। बस मन के भाव शुद्ध और सात्विक होना चाहिए । जिसका हर रूप सुखद होता है।
सवाल: 25. आगामी पीढी के लिए कोई संदेश, प्रेरणा या मार्गदर्शन देना चाहेंगी ? कुछ और कहना बाकी रह गया हो तो भी कह सकती हैं ?
जवाब:25. आगामी पीढ़ी के लिए यही कहूंगी मर्यादित संस्कारित और संयमित जीवन की ओर अग्रसर रहिए,भटकना आसान होता है, लेकिन संभलना बहुत मुश्किल हर पग पर एक नई चुनौती होती है। खुद को काबिल बनाने में पूरा समय लगा दीजिए। माता -पिता से सर्वोपरि दुनियाँ में कोई नहीं । किसी भी मोड़ पर उनका साथ मत छोड़िए। साहित्य अवश्य पढें व इससे कभी निराशा नहीं होगी |
सुश्री सरोज कंसारी
कंसारी महिला संगठन
रायपुर छ. ग.
प्रस्तुति :- कृष्ण कुमार अजनबी