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सोशल मीडिया के दौर में भारतीय संस्कृति


” सभ्यता, संस्कृति जहां से जन्मी है
वो हिंद देश मेरा मतवाला है
संस्कार जहां से पले -बढ़े
वो भारत देश निराला है”
वर्तमान समय में मीडिया की उपयोगिता,महत्व एवं भूमिका निरंतर बढ़ती जा रही है। मीडिया एक समग्र तंत्र है जिसमें प्रिंटिंग ,प्रेस, पत्रकार इलेक्ट्रॉनिक माध्यम,रेडियो सिनेमा इंटरनेट आदि सूचना के माध्यम से सम्मिलित होते हैं। मीडिया समाज को अनेक प्रकार से नेतृत्व प्रदान करता है। सोशल मीडिया हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। सोशल मीडिया विचारों के बहुत तेजी से आदान-प्रदान की अनुमति देकर संस्कृति को प्रभावित करता है। संस्कृतियां एक दूसरे के साथ अवधारणाओं को पूर्व आधुनिक काल की तुलना में कहीं अधिक आसानी से साझा करती है।
सोशल मीडिया समाज को अनेक प्रकार से नेतृत्व प्रदान करता है। इससे समाज की विचारधारा प्रभावित होती है। यह दुनिया भर के लोगों को संवाद करने, सामाजिक मेलजोल बढ़ाने, ज्ञान और रचनात्मक रुचियां को साझा करने, विभिन्न अनुभवों से अवगत कराता है।
संस्कृति वह गुण है जो हमें मनुष्य बनता है। संस्कृति के बिना मनुष्य ही नहीं रहेंगे। संस्कृति परंपराओं से, विश्वासों जीवन की शैली से, आध्यात्मिक पक्ष से,भौतिक पक्ष से निरंतर जुड़ी है। यह हमें जीवन का अर्थ, जीवन जीने का तरीका सिखाती है। सोशल मीडिया से समाज की विचारधारा प्रभावित होती है। मीडिया संस्कृति के प्रहरी के रूप में भी भूमिका निभाता है।
सोशल मीडिया का भारतीय संस्कृति पर प्रभाव कुछ इस प्रकार है—-
सोशल मीडिया से भारतीय युवाओं की जीवन शैली प्रभावित हो रही है। इसमें रहन-सहन, खान -पान ‘वेशभूषा और बोलचाल शामिल है।
सोशल मीडिया पर मर्यादाहीन शब्दों का इस्तेमाल होने लगा है।
सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने से भावनात्मक समर्थन में कमी आती है।
सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने से रिश्ते सतही हो जाते हैं।
सोशल मीडिया पर विदेशी संस्कृति का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।
सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने से घर परिवार के लोगों का इकट्ठे बैठकर बातें भी कम होने लगी है।
सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने से अवसाद के लक्षण दिखने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
सोशल मीडिया पर विदेशी विदेशी संस्कृति की ओर आकर्षित होने की वजह से बच्चों और युवाओं के विचार,
व्यवहार, पहनावे-ओढ़ावे में तेजी से बदलाव आ रहा है।
“फैशन ने लूटा है भारत को
और इंडिया इसे बनाया है
फैशन में आकर भारत में
संस्कृति का नाम डुबाया है”
हालांकि सोशल मीडिया के कुछ सकारात्मक प्रभाव की देखने को मिलते हैं।
कोविद-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए लाखों छात्रों को शिक्षा मिली।
कोई भी संदेश देना हो तो सोशल मीडिया तीव्र गति से लाखों तक पहुंचा देती है। वैश्विक सद्भाव को बढ़ावा देता है।
सरकारी हो या गैर सरकारी सभी ऑनलाइन घर से काम करना सीख गए, घर बैठे ही बहुत सारे कार्यों को करना, निपटाना सबके लिए आसान हो गया है।
सकारात्मक प्रभाव के साथ-साथ सोशल मीडिया का नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलते है–
“जिस धरती पुरखों ने मेरे
संस्कृति की महिमा गाई है
उस पर फैशन ने आकर के
संस्कृति हमारी गंवाई है “
कई शोधों से यह पता चलता है कि यदि कोई सोशल मीडिया का आवश्यकता से अधिक प्रयोग करता है तो वह हमारे मस्तिष्क को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है और हमें डिप्रेशन की ओर ले जा सकता है।
साइबर अपराधों जैसे हैकिंग और फिशिंग आदि का खतरा भी बढ़ जाता है।
सोशल मीडिया फेक न्यूज़ और हेड स्पीच फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सोशल मीडिया का अत्यधिक प्रयोग हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकता है।
आजकल सोशल मीडिया के माध्यम से धोखाधड़ी का चलन भी काफी बढ़ गया है। यह लोग ऐसे सोशल मीडिया उपभोक्ता की तलाश करते हैं जिन्हें आसानी से फंसाया जा सकता है।
मीडिया की बहु आयामी भूमिका को देखते हुए कहा जा सकता है कि मीडिया आज विनाशक एवं हितेषी दोनों भूमिकाओं में सामने आया है। अब समय आ गया है कि मीडिया अपनी शक्ति का सदुपयोग जनहित में करे और समाज का मार्गदर्शन करे ताकि वह भविष्य में भस्मासुर न बन सके।
“सोशल मीडिया कुछ महीनो में बहुत अच्छा है यदि हम सकारात्मक संदेशों का प्रसार करने में सक्षम हैं।”
‘सही तरीके से उपयोग किया जाए तो सोशल मीडिया हम सभी के लिए वरदान ही है।”

डॉ मीना कुमारी परिहार

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