
बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गाँव में सुरेश नाम का व्यक्ति रहता था। सुरेश बचपन से ही माता दुर्गा का भक्त था। वह दिन-रात ईश्वर का नाम जपता, गरीबों की मदद करता और सभी को अच्छे मार्ग पर चलने की सलाह देता था। गाँव के लोग उसे बहुत सम्मान देते थे।
परंतु उस समय गाँव के चारों ओर कुछ राक्षसी प्रवृत्ति के लोगों का आतंक फैला हुआ था। जैसे ही रात होती, वे गाँव में घुस आते। निर्दोष ग्रामीणों को सताते, बच्चों को डराते और घर-घर में उपद्रव मचाते। धीरे-धीरे हालात ऐसे हो गए कि लोग भय से काँपने लगे। शाम ढलते ही सब अपने घरों के दरवाज़े बंद कर लेते। किसी को भी समझ नहीं आ रहा था कि इस संकट से मुक्ति कैसे मिलेगी।
एक दिन गाँव के एक बुजुर्ग ने कहा –
“सुरेश माता दुर्गा के बहुत बड़े भक्त हैं। क्यों न हम सब मिलकर उनसे सलाह लें?”
यह सुनकर सभी लोग सुरेश के पास पहुँचे और बोले –
“भाई सुरेश, तुम माँ के परम भक्त हो। हमें इन राक्षसों से मुक्ति दिलाने का कोई उपाय बताओ।”
सुरेश ने शांत और विश्वास भरे स्वर में कहा –
“भाइयों और बहनों, यह संकट केवल माँ आदिशक्ति ही दूर कर सकती हैं। हम सब मिलकर माता कालरात्रि का आह्वान करेंगे। वही अंधकार को दूर कर हमारे रक्षक बनेंगी।”
गाँववाले तुरंत मंदिर में एकत्रित हुए। सबने मिलकर दीप जलाए। घंटियों और मंत्रों की गूँज से वातावरण पवित्र हो गया। श्रद्धा और विश्वास से सभी ने पुकारा –
“जय माँ कालरात्रि! संकट हरनी, अंधकार नाशिनी!”
तभी आकाश में बादल गरजने लगे, बिजली चमक उठी और माता कालरात्रि प्रकट हुईं। उनका स्वरूप अत्यंत अद्भुत और दिव्य था। वे काले रंग की आभा से जगमगा रही थीं। गले में नरमुण्डों की माला, हाथों में वज्र और खड्ग और आँखों से अग्नि की ज्वालाएँ निकल रही थीं। उनके प्रचंड रूप को देखकर गाँव वाले भय से काँप उठे, लेकिन साथ ही उनके हृदय में असीम विश्वास भी जग गया।
माँ ने गर्जन कर कहा –
“हे दुष्टों! तुम निर्दोष लोगों को सता रहे हो। अब तुम्हारा अंत निश्चित है।”
इतना कहते ही माँ कालरात्रि ने अपने प्रचंड रूप से उन राक्षसों का विनाश कर दिया। कुछ ही क्षणों में गाँव से आतंक मिट गया।
जहाँ-जहाँ भय और अंधकार फैला हुआ था, वहाँ माँ का प्रकाश छा गया। लोग भयमुक्त हो गए और पूरे गाँव में आनंद का वातावरण बन गया।
सुरेश और सभी गाँव वालों ने मिलकर माता को प्रणाम किया और कहा –
“हे माँ कालरात्रि, आप ही हमारी रक्षक हैं। आपके स्मरण मात्र से पाप, भय और संकट दूर हो जाते हैं। हमें आशीर्वाद दें कि हम सदा धर्म के मार्ग पर चलें।”
उस दिन से गाँव के लोग यह मानने लगे कि–
जिस घर में माँ कालरात्रि की भक्ति होती है, वहाँ कोई संकट ठहर नहीं सकता।
उनके स्मरण से मृत्यु का भय, अंधकार और दुष्ट शक्तियाँ नष्ट हो जाती हैं।
अब इस गाँव के लोग हर वर्ष नवरात्रि पर विशेष रूप से माँ कालरात्रि की पूजा करने लगे।
योगेश गहतोड़ी “यश”