
जीवन में हमें करने होंगे, सदा प्रेम और सत्य का ब्यवहार |
खान-पान शाकाहारी हो,मन में आएंगे तब उच्च विचार ||
सादा जीवन उच्च विचार से, जीवन को हमें बिताना है |
मान-मर्यादा बनी रहेगी, मानवता को हमें अपनाना है ||
ईर्ष्या, द्वेष, घृणा को मन से,पूरी तरह से हमें मिटाना है |
सदा सत्य के मार्ग पर चलकर,भगवत धर्म अपनाना है ||
जीवन में खुशियां हरपल हो, दुःख का सदा निवारण हो |
भाव-भक्ति में जीवन बीते,पुन्य का सदा संधारण हो ||
सादा जीवन से शरीर को, मिलता है शक्ति बहुत आपार |
बिमारियां जल्दी नहीं आती है,शरीर करता है अपना सुधार ||
सादा जीवन से तन-मन में, सदा उच्च विचार ही आते हैं |
दुःख, दर्द में धीरज रखकर, जीवन को हम बिताते हैं ||
लड़ने झगड़ने का मन नहीं करता,हर कार्य शांतिमय होते हैं |
कठिनाईयों का सामना करते हैं,हम धीरज कभी नहीं खोते हैं ||
शरीर हमारी मंदिर स्वरूप है,तन की पवित्रता जरूरी है |
जब-जब तन में पवित्रता हो, मन की इच्छा होती पूरी है ||
नशा करने से शरीर में होते, अनेक बिमारियों के प्रहार हैं |
मांस -मदिरा पान करें तो,तन हो जाते बहुत बेकार हैं ||
जीवन में हमें करने होंगे, सदा प्रेम और सत्य का ब्यवहार |
खान-पान शाकाहारी हो,मन में आएंगे तब उच्च विचार ||
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प्रेमलाल किशन (शिक्षक सह साहित्यकार)
शासकीय प्राथमिक शाला बुढ़नपुर,
संकुल केन्द्र गहरीनमुड़ा,
विकास खंड व जिला -सक्ती,
छत्तीसगढ़