
प्रकृति मनुष्य की परीक्षा लेती है चाहे कोई भी क्षेत्र हो। जीवन हमें कसौटी पर कसा करता है। चुनौती दर चुनौती, कभी जीवन हमें परखता है। कभी हम इस चाल में चित्त होते हैं। कभी सामने वाले की हार होती है। जिन्दगी इस तरह से ही बढ़ती रहती है। प्रति पल परीक्षा की घड़ी है। जीवन में हम जन्म का चुनाव कभी नहीं कर पाते हैं। शिक्षा प्राप्ति के लिए भी परीक्षा, प्यार में भी परीक्षा देनी ही पड़ती है। प्रेम में चाहे दूर रहें या पास हर पल मन अनजान डगर पर एक परीक्षार्थी की तरह कभी डरता है और कभी प्रसन्न रहता है।जीवन में प्रेम पाकर भी उसको बनाए रखने की चुनौती बनी रहती है। वास्तव में जीवन एक परीक्षा ही है। तब प्यार उससे अछूता कैसे रह सकता है। प्यार तो जीवन में प्रतिबिंबित होता है।
संध्या दीक्षित