Uncategorized
Trending

मिलन

काले -वस्त्र पहन कर बादल चले मिलन प्रिया के आंगन
बदली ने भी रुप सजाया मिलने को आते मेरे अब साजन

नैनों मे भर काला काजल देखा उसने जब शीशे में जाकर
नैन झुक गये सुखद याद में रूप सुहाना गालों पर पाकर

काली बिंदी माथे लगाकर बदलीं ने सुन्दर रूप सजाया
पहनी साड़ी मैसूर वालीं तरूणाई ने अपना रंग जमाया

मिलन हमारा नही हुआ बरसों तक कैसे समय बिताया
चलो आज हम ऐसै बरसे सावन में जल प्लावन आया

चले उमड़ कर घन घमंड से घर्षण दामिन दमके अपार
इन्द्रदेव भी नभ में निकले देखने उमड़ता बादलों का प्यार

उड़ने लगें परस्पर दोनों नभ में करके प्रेम विरोधी सहयोग
कौन उडेगा वायु वेग से छूने को अनन्त का अद्भुत छोर

मिल गई बदलीं प्रेम हृदय से नृत्य किया बादल के संग
मिल के बरसों प्रियतम मेरे भीग जाय तन, मन हर अंग

रस बरसत कर मीठी बातेँ, चंचल नयन नहीं मिलावत
बरस -बरस थक गई बदलिया लाज नहीं क्या ?आवत

डॉ .कृष्ण कान्त भट्ट
एस वी पी सी बैंगलुरू

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *