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दोस्ती


दोस्ती इस में संसार जन्नत हैं।
दोस्ती खुदा का नायाब तोहफा है।
दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो हमारे हर रिश्ते में मौजूद हैं।
दोस्ती पीठ पीछे अच्छाई और सामने टांग खिंचाई हैं।
बस इतना ही कहूंगी दोस्ती हम से बेहतर हमें पहचानती हैं।।
ये हुई दोस्ती की बात ,अब बात आती है दोस्त कौन है।
जो आपकी मुस्कान में आपका दर्द ढूंढ ले , जो आपकी निराशा को आशा में बदल दे , जो आपके सामने तो आपकी लाख बुराइयां करे पर कोई आपके साथ बुरा करे तो सहन न कर पाएं, जो हमारी गलतियों का हमें अहसास करवाए, जो हमारे हर रिश्ते का मान करें, जब हम निराश होकर अगर ये कहें की मैं नहीं जीना चाहता जाना चाहता हूं इस संसार से तब वो कहें रुक यार मैं भी साथ चल रहा हूं , ऐसा कहने वाला ही दोस्त हैं ।
एक सच्चा दोस्त कभी भी आपके बुरे काम की तारीफ नहीं करेगा , आप चाहे कितने ही ऊंचे रूतबे के हो अगर दोस्त सच्चा होगा तो वो आपके मुंह पर आपकी आलोचना करेगा , जनाब चापलूस और दोस्त में मात्र यही फर्क है।।

जब रावण ने सीता का हरण किया था और विभीषण ने उन्हे गलत कहा तो रावण ने उन्हें अपने दरबार से बाहर कर दिया तो विभीषण राम जी से जाकर मिल गया। जब राम रावण युद्ध हुआ और रावण को जब कुंभकरण की आवश्यकता पड़ी तो उसे नींद से जगाया गया तब उसने भी रावण के कार्य की निंदा की ओर कहा” बहुत ही नीच हरकत की हैं भाई आपने जगत जननी मां जगदंबा को हर लाए इसमें में आपका साथ नहीं दे सकता पर राम के हाथ से मौत पाकर मुक्ति को जरूर पा लूंगा बस इसी एक कारण से आपकी और से आज युद्ध में जाऊंगा , मेरी बात मानकर आप भी मां जगदंबा को राम को सौप कर उनकी शरण में चले जाएं।”
यही थी एक सच्चे दोस्त और एक सच्चे भाई की पहचान पता है की भाई गलत है दोस्त गलत है  तो उसके सामने सीधा कहना ।

बहुत ही ऐसे दोस्त हुए है संसार में जो अपनी दोस्ती की मिशाल छोड़ गए हैं । जरूरी नहीं की दोस्त बहुत सारे हों पर जिस से भी हो सच्ची हो।
दुनिया में शायद यही एक रिश्ता है जो बिना स्वार्थ से बनता हैं बाकी तो हर रिश्ते में किसी  भी प्रकार का स्वार्थ जुड़ा रहता हैं ।

वर्तमान की बात करूं तो दुनिया में सबसे स्वार्थी रिश्ता ही दोस्ती का हो गया हैं ,जब तक अपना स्वार्थ सिद्ध होता है तब तक दोस्ती , यारी सबकुछ पर जिसदिन स्वार्थ पूरा हुआ दोस्ती खत्म, ऐसे अनजान बन जाते है जैसे कभी जानते ही नहीं हो एक दूसरे को।
इतना ही कहूंगी जीवन में किसी से भी दोस्ती करें उसे निभाइए बिना किसी स्वार्थ से , दोस्त की कमजोरी को उजागर मत कीजिए उसका फायदा मत उठाइए , उसी कमजोरी को उसकी ताकत बनाइए अगर आप सच्ची दोस्ती निभाना चाहते हैं तो। अगर दोस्त कोई गलती कर रहा है तो 100 बार टोकिए उसे , गलती के अंजाम से अवगत करवाइए उसे अगर आप सच्ची दोस्ती निभाना चाहते हैं तो।

साथ में पढ़ना , मौज मस्ती करना , लुफ्त उठाना , लेट नाइट पार्टी करना , गिलाशों को मिलाकर दारू पीना ही दोस्ती नहीं हैं ।
हां दोस्तों के साथ जिंदगी का मजा लीजिए पर सिर्फ इस मजे को ही दोस्ती मत मानिए, दोस्ती एक बहुत ही सच्चा और पवित्र रिश्ता हैं इसे स्वार्थी मत बनाइए , दोस्त के साथ विश्वासघात कर इसका मान मत घटाइए।।

विद्या बाहेती
राजस्थान

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