
दिनांक : 3 अगस्त , 2025
दिवा : रविवार
भोजपुरिया माटी बाटे सुगंधित ,
सुगंधित बाटे इहवाॅं के हर फूल ।
इहे माटी त बाटे सुगंधित चंदन ,
चुनत चले हर पथ के इहे शूल ।।
भोजपुरिया माटी के हवे भुजा ,
भोजपुरिए ह भोजपुरिया भूॅंजा ।
प्यार से खाईं भोजपुरी भुॅंजिया ,
रउओ करब भोजपुरी के पूजा ।।
भोजपुरी पुष्प राजेन्द्र आ जेपी ,
भोजपुरिए भईलन गौतम बुद्ध ।
भोजपुरी रहलें वीर कुॅंअर सिंह ,
भोजपुरी ना भईल अवरूद्ध ।।
भोजपुरी ह भोजपुरिया शृंगार ,
भोजपुरी मजेदार बाटे ई राग ।
हिन्दी बाटे जब राष्ट्र के बिजली ,
भोजपुरियो बा राष्ट्र के चिराग ।।
हिन्दी के विश्व में पहिला स्थान ,
दूसरा भोजपुरी के बाटे सम्मान ।
आठवीं अनुसूची में शामिल हो ,
इहे बाटे भोजपुरिया अरमान ।।
भोजपुरिए हवे भोज के पूड़ी ,
एक एक जोड़ इगारह करेला ।
बदले में भले उपहासो उ सहे ,
अंत में ओकरो झुके के पड़ेला ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )
बिहार