
आशुतोष प्रभु जी अन्तर्यामी
सुनो हमारी करूण कहानी
मै तो मुर्ख , अजड़ अज्ञानी
करता जाने कितनी नादानी
दुष्ट से दुष्ट जो शरण में आता
भोले नाथ के गीत जो गाता
मुक्ति मार्ग प्रशस्त हो जाता
एक बार भी शिव को ध्याता
कितने तर गए कितने तरेंगे
सच्चे मन से जो भी उतरेंगे
बम भोले से जो लिपटेंगे
सत्य हृदय में भोले प्रकटेंगे
मुझको पता नहीं क्या करना
मन में मेरे सदा प्रभु जी रहना
छल प्रपंच से दूर हमें रखना
शिव बखान करे मेरी रसना
डॉ. कृष्ण कान्त भट्ट
एस वी पी सी बैंगलुरू