Uncategorized
Trending

क्या आज हमारे तीज त्यौहार श्रद्धा से ज्यादा खर्चीले व दिखावटी हो गए हैं..?


“देखो आज सब कुछ बदल गया है
प्रमुख त्यौहार अपनी रंगत खोते जा रहा है
त्योहार सिर्फ औपचारिकताएं निभाने के लिए मनाये जा रहे हैं
बाजारीकरण ने सारी व्यवस्थाएं बदल कर रख दी है “
हमारा भारत वर्ष त्यौहारों का देश है। समय-समय पर आने वाले त्यौहार जीवन में उल्लास एवं उमंग का संचार करते हैं। साथ ही हमें अपनी संस्कृति से भी जोड़े रखते हैं, पर आज पहले जैसे नहीं लगते हैं, क्योंकि लोग अपने काम में और पैसे कमाने में कितने व्यस्त हो गए हैं कि त्यौहारों को त्यौहारों की तरह नहीं मनाते हैं। यही कारण है कि अब त्यौहार पहले जैसे नहीं लगते हैं..? क्योंकि त्यौहार कम और सेल्फियां ज्यादा होने लगी हैं। डिस्को डांस की प्राथमिकता हो गई है। पैसों की कोई कीमत नहीं। आज के लोगों को त्यौहारों के नाम पर होटल और आर्केस्ट्रा पार्टी में जश्न मनाना अच्छा लगने लगा है। भगवान के प्रति श्रद्धा बिल्कुल गायब होती जा रही है। परंपराओं को भूलते जा रहे हैं। समय के साथ जब हम आगे बढ़ते हैं तो बहुत कुछ पीछे छूट जाता है वर्तमान में वही त्योहारों के साथ हो रहा है।
त्योहार मानव संस्कृति का एक अभिन्न अंग है और दुनियां भर के व्यक्तियों और समुदायों के लिए बहुत महत्व रखते हैं। परंपराएं पूर्वजों की धरोहर है।
किसी भी देश के त्यौहार उसकी संस्कृति और विरासत की पहचान होते हैं और त्योहार के साथ कोई ना कोई भावना और आस्था जुड़ी रहती है। जैसे होली का त्यौहार रंगो द्वारा अपने जीवन में रंग बिखेरने और दुश्मनी को भुलाकर एक दूसरे से गले मिलने का प्रतीक बन गया है। दिवाली का त्यौहार अपने जीवन में व्याप्त अंधेरों को मिटाकर जीवन में प्रकाश करने का प्रतीक है। रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के प्रेम को अटूट बंधन में बांधने का प्रतीक है। तीज का त्यौहार सुहाग का प्रतीक है। दशहरा का त्यौहार बुराइयों पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। नवरात्रि का त्योहार मां की आराधना द्वारा स्त्री शक्ति को सम्मान देने का प्रतीक है।
अब हमारे त्यौहारों को मनाने के तरीकों में आया बदलाव हमें ही नहीं हमारे जीवन शैली में भी बदलाव दे रहा है। परंपरागत तरीकों की जगह अब दिखावा हावी हो गया है। इस बदलाव की वजह से त्यौहारों का वास्तविक स्वरूप हम भूलने लगे हैं। इस बदलाव के कारण संस्कार भी पीछे छूटने लगे हैं। यह स्थिति आने वाले समय के लिए घातक होगी।
पहले यह त्यौहार इसी भावना के साथ मनाए जाते थे। परंतु अब लोगों की मानसिकता में बदलाव आ रहा है। लोगों की जीवन शैली बहुत बदल गई है। त्यौहारों में दिखावा और पाखंड ज्यादा करने लगे हैं। कुछ तो पश्चिमी देशों के त्यौहारों के दखल अंदाजी ने भी हमारे त्यौहारों में लोगों की मानसिकता में परिवर्तन ला दिया है। आज बस त्यौहार निभाया जा रहा है। लोगों में वोआत्मीयता नहीं रही। श्रद्धा की भावना गायब होती जा रही है, क्योंकि अब लोगों के पास समय की कमी है। महंगाई मुंह फाड़े सुरसा की तरह बढ़ती ही जा रही है। त्योहारों में दिखावटी और पाखंड ज्यादा होने लगे हैं, परंपराएं भूलते जा रहे हैं। हम सभी को चाहिए कि अपने त्यौहार की मूल भावना को समझें और पहचानें,
तभी तीज त्यौहार की सार्थकता होगी। त्योहारों के मूल भाव को दिखावे में कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

डॉ मीना कुमारी परिहार

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *