
मैंने देखा एक ख्वाब है—
सज्जित नव ज्ञान से
आया नव विहान है।
भूल भ्रांति या विचलन
नाम ना निशान है!
मैंने देखा एक ख्वाब है।
ऐसे विश्व में प्रभु,
दुनिया खुशहाल है।
तरु पादप आच्छादित
धरा मस्त हाल है।
मैंने देखा एक ख्वाब है.।
रोग मुक्त विश्व है,
सुखी जग समस्त है,
हिंसा द्वेष मुक्त मनुज
कर्म निरत स्वस्थ है।
मैंने देखा एक ख्वाब है।
सुलेखा चटर्जी,