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मानव विकास के अंग- कविता और कहानियाँ

कहानियाँ सदैव मानव जीवन के उत्थान और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आयी हैं। बचपन में हम दादा-दादी और गाँव के लोगों और रिश्तेदारों से बड़ी-बड़ी कहानियाँ सुनते आये हैं। इन कहानियों में अधिकतर किस्से-कहानियाँ राजसी घरानों पर आधारित होती थीं। कुछ कहानियाँ भूत-प्रेतों, डायनों और चुड़ैलों पर आधारित होती थीं, यह डरावनी होने के साथ-साथ बहुत ही रोचक होती थीं। सर्दियों में गाँवों में लोग अलाव (कोड़ों) जलाते और देर रात तक किस्सों-कहानियों का दौर चलता था। धीरे-धीरे समय बदला, तोता-मैंना और किस्सों का दौर खत्म हुआ। वर्तमान में कहानियाँ केवल पुस्तकों पर सिमट कर आ गईं।
कविताओं की अपनी अलग महत्ता है। वीररस की कवितायें, आल्हा, राधेश्याम रामायण, साहित्यिक कवितायें हमें वीर-रस से सराबोर कर देती थीं। आज के बदलते युग में अनेक कवियों ने हिन्दी कविता को सभी विषयों से जोड़ दिया। वर्तमान में हमें प्रत्येक विषयों पर कहानियाँ और कवितायें देखने को मिलती हैं। वह चाहे समाज की कोई भी समस्या क्यों न हो! धर्म और अध्यात्म भी इनसे अछूता नहीं रहा है। कुछ स्वेच्छिक सामाजिक संस्थायें स्कूलों में बच्चों के हितार्थ काम कर रही हैं। इनमें से एक प्रमुख है- मिशन शिक्षण संवाद। इसका उद्देश्य है बच्चों का सर्वांगीण विकास करने के लिए उन्हें कक्षा एक से आठ तक की सभी विषयों की शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराना। ये संस्थायें काव्य और गद्य रुप में भी विभिन्न विषयों की सभी पाठों की सामग्री उपलब्ध कराने में निरन्तर लगी रहती हैं। इनमें हमारे विभिन्न जनपदों के शिक्षक/शिक्षिकाएँ निरन्तर सहयोग कर महत्वपूर्ण नि:शुल्क योगदान कर रहे हैं। इन अध्यापकों के कारण ही बच्चों में हिन्दी भाषा और अन्य विषयों का विभिन्न तरीकों से विकास हो रहा है और बच्चे आगे बढ़ रहे हैं। ये संस्थायें विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियाँ नि:शुल्क आनलाइन कोचिंग और शिक्षण सामग्री के माध्यम से करा रही हैं,
ये सभी कहानियाँ, कवितायें और अन्य सामग्रियाँ इनके फेसबुक, यूट्यूब पर उपलब्ध हैं। मैंने सोचा कि अगर यह कविता और कहानियाँ बच्चों को एक साथ एक ही पुस्तक में उपलब्ध हों, तो कितना अच्छा रहेगा। अध्यापक उनका विभिन्न कक्षाओं में गतिविधियों के माध्यम से उपयोग कर सकते हैं, इससे शिक्षण कार्य रुचिकर और प्रभावशाली हो सकेगा। बस! इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर मैंने अपनी स्वरचित कहानियों और कविताओं का नया संकलन तैयार किया है। अभी यह भाग- 1 के रुप में आप लोगों तक पहुँच रहा है। शीघ्र ही इसके अन्य भाग और एक गीतों का संकलन भी आप तक पहुँचाने की कोशिश कर रहा हूँ। गीत गोविन्द पब्लिकेशन ने इसके प्रकाशन में अपनी रुचि दिखाई है। मैं चाहता हूँ कि जीवन और बदलती परिस्थितयों को समझने और बदलने का शशक्त माध्यम कहानियाँ और कवितायें ही हैं। यह मानव मन में उथल-पुथल मचा देने की शक्ति रखती हैं। इसलिए कहानियों से स्वयं और अपने बच्चों को जरूर जोड़ें। शिक्षक/शिक्षकायें इनका कक्षा में विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में प्रयोग कर पढ़ाई को रुचिकर और प्रभावशाली बनायें तो मैं समझूँगा कि मेरा प्रयास सार्थक हुआ।

मानव विकास  के अंग- कविता और कहानियाँ-

1- जीवन के उत्थान और विकास में सहायक
2- रुचि और उत्सुकता को जगाना
3- ऐतिहासिक राजाओं और उस समय की स्थिति की जानकारी
4- प्रत्येक युग में होने वाले परिवर्तन और हुए मोड़ों की जानकारी
5- प्रत्येक युग में नारी और बच्चों की  विभिन्न स्थितियों की जानकारी
6- वर्णाश्रम व्यवस्था और धर्मों की जानकारी
7- विभिन्न प्रकार के खेलों, नृत्य-संगीत और गतिविधियों की जानकारी
8- पर्यावरण और पेड़-पौधों तथा जीव-जन्तुओं की जानकारी
9- सांस्कृतिक और वैभवशाली धरोहरों की जानकारी
10- अच्छे-बुरे तथा सही/गलत की जानकारी

जिए जो गैर की खातिर, वही दिलदार होता है,
उसी का है सफल जीवन, वही पतवार होता है।
जगत में जो सदा बढ़ता, सभी का हार होता है,
जमाना छोड़ मंजिल का, वही हकदार होता है।

लेखक-
पं० जुगल किशोर त्रिपाठी (शि०मि०)
प्राथमिक विद्यालय बम्हौरी (कम्पोजिट)
ब्लाॅक- मऊरानीपुर, जनपद- झाँसी (उ०प्र०)

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