
मेरे मन तू गाए जा ,तराने हिंदुस्तान के,
भारत देश महान के ,भारत देश महान के।।
जहाँ बहे गंगा की धारा, हिमगिरि मुकुट समान है,
सूरज सबसे पहले उगता भारत वह स्थान है,
जहां की धरती सोना उगले श्रम की पूंजी जान है,
हर जन के मन में बसती, यह माटी की पहचान है
भारत देश महान के, भारत देश महान के।।
जहाँ बुद्ध ने ज्ञान दिया, शांति जहाँ का धर्म है,
जहाँ कबीर की वाणी गूँजे, मेल-मिलाप का मर्म है।
जहाँ तानसेन की तान बहे, रागों का अद्भुत संग है,
जहाँ वीरों ने प्राण दिए, पर तनिक न मानी जंग है,
जिनकी यश गाथा गातायह सारा जहान है
भारत देश महान के, भारत देश महान के।।
यहाँ तिरंगा लहराता है, जन-जन करता भक्ति है
हर रंग इसका बोल रहा, एकता में क्या शक्ति है।
सद्भावना के दीप लिए, हम आगे बढ़ते जाते हैं,
भविष्य हमारा उज्ज्वल हो, हम यही दुआ माँगते हैं,
देश की खातिर निछावर करते जो निज प्राण हैं
भारत देश महान के, भारत देश महान के
मेरे मन तू गाए जा ,तराने हिंदुस्तान के,
भारत देश महान के, भारत देश महान के।।
स्वरचित पुष्पा पाठक छतरपुर मध्य प्रदेश