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वृंदावन में धूम

मोर मुकुट सिर कान्ह के, पीताम्बर लहराय।
वृंदावन की धूम में, रास रंग बरसाय।।

राधा संग मुरली लिए, रचते प्रेम अपार।
गोकुल गली-गली बही, माधुरी की धार।।

गोप-गोपियाँ गा रहीं, बंसी मधुर तान।
वृंदावन में रच रहा, प्रेमिल नवल गान।।

भक्त झूमते रास में, गाते हरि के गीत।
श्याम चरण की धूल से, मन होता अतीत।।

फूलों की वर्षा हुई, महके चारों ओर।
कान्हा नाम जपे नगर, प्रेम भरे सब छोर।।

योगेश गहतोड़ी

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