
लक्ष्मीबाई, झांसी की रानीवीरता की प्रतीक,
उनकी वीरता की कहानी, इतिहास में सुनहरा,
कभी डरी ना जो दुश्मन से, ना जाँ की कुर्बानी से,
जीवन जीना सीख गये उस झाँसी की रानी से !
लक्ष्मीबाई का जन्म, 19 नवंबर 1828 को हुआ,
काशी में जन्मी, उनकी वीरता की कहानी सुनाई।
उनके पति राजा गंगाधर राव, झांसी के राजा थे,
लक्ष्मीबाई ने उनके साथ, राजकाज में भाग लिया।
1857 की क्रांति, भारतीय इतिहास में सुनहरा,
लक्ष्मीबाई ने ब्रिटिश सेना का सामना किया।
आयुध लक्ष्मीबाई रण में,कूद गई थीं गोरों के बीच में,
जैसे रणचंडी बन गोरों के तन सर से थे अलग थलग।
नेत्रों में भर ज्वाला लक्ष्मीबाई,रण में लगाती थीं हुंकार,
कांपने लगे गोरे थर थर,ऐसा अद्भुत किया नर संहार।
भाग रहें गोरे जान बचाकर हा हा कार मचा भारी,
थी झांसी की मर्दानी क्या खूब अदा थी प्यारी।
आगे बढ़ आज़ादी का पथ हम सबको दिखलाई वह ,
झाँसी के सिंहासन परअपना कर्तव्य निभाईं वह ।
मातृभूमि की सेवा मेंजीवन भी अर्पित कर डाला।
जीवन में कंटक – पथ परतूफ़ानों से टकराईं वह।
डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार