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“बरसात री पधार”

उग्यो बदरौ, अंबर लहरायो,
घामो भाग्यो, ठंडो छायो।
धोरा सूं आई मीठी बात,
आयी बरसात… आयी बरसात!

थल थल नाचे बूँदां रै गीत,
मोहनिया बाजे बीन संगीत।
कुंवरियां थांर नाचे झूम,
घाघरा घुमे, गूंजे मूर।

चौमासा री छायी बहार,
धरती खींचे हरियल धार।
बावड़ियों में झर-झर पानी,
भीज गयी हर गोठ पुरानी।

बावरी बाई रांझण रटै,
सावण में सपनां सजीव बटै।
म्हारो मन हरखो, थारो मन गावे,
बरखा री ओ पायल बाजे।

“इन्द्रदेव रा लाखा उपकार,
बरसात लायो सुख अपार!”

डॉ बीएल सैनी
श्रीमाधोपुर सीकर राजस्थान

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