
पाँच जून का पावन दिन, जब धरती लेती अंगड़ाई,
मेरा भी जन्मोत्सव है, कैसी सुंदर घड़ी आई!
विश्व मनाए पर्यावरण दिवस सँवारने को यह धरा,
लगता है, मैं पेड़ लगाने ही जन्मीं हूँ, यह है ईश्वरीय वरदान
नया वर्ष जीवन का, और संकल्प भी है नया,
जितने मेरे हों साल, उतने ही वृक्ष लगाऊँगी
मेरी हर साँस में घुले, मिट्टी की सौगंधी खुशबू,
हर जन्मदिन बने मेरा, हरियाली का उत्सव।
न काटना, न काटने देना, यह मेरा धर्म हो,
प्रकृति का संरक्षक बनना, मेरा अटल कर्म हो।
हर पौधा बने मेरा, एक नया जीवन,
मेरा हर जन्मदिन, हो प्रकृति का अभिनंदन।
मैं नहीं हूँ बस इक व्यक्ति, मैं हूँ एक छोटा सा बीज,
जो धरती माँ की कोख से, आयी हूँ लेकर यही रीझ।
फैलाऊँगी मैं हरियाली, भरूँगी जीवन में रंग,
मेरा जीवन समर्पित है, पेड़ों की है यह जंग।
खुशबू फैलेगी फूलों से, छाँव मिलेगी पेड़ों से,
मेरा जन्म सार्थक होगा, इस पावन उद्देश्य से।
मैं पेड़ लगाने ही जन्मीं हूँ, यही मेरा विधान,
मेरा हर जन्मदिन, हो प्रकृति का यह वरदान!
श्री मति अनुमासा स्नेहा
बय्यारम, महबूबाबाद जिला
तेलंगाना राज्य