
हैदराबाद/तेलंगाना। भारत की सनातन चेतना, सौहार्द और मानवता की प्रतिनिधि संत परंपरा को वैश्विक मंच पर स्थापित करने वाला एक ऐतिहासिक क्षण 26 मई को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में रचा गया। इस आयोजन में हैदराबाद की शिक्षिका वंदना महाजन को अंतर्राष्ट्रीय देवनागरी सम्मान, बुद्ध पीस इंटरनेशनल अवार्ड और डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया।
यह अनूठा कार्यक्रम यूनिक रिकार्ड्स ऑफ़ यूनिवर्स और एशिया बुक ऑफ़ द वर्ल्ड रिकॉर्ड जैसे वैश्विक मंचों पर दर्ज होकर इतिहास का हिस्सा बन गया है। इस कार्यक्रम में 9 पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। विमोचित पुस्तकों में निहित है- संत सौरभ पांडे के वे तेजस्वी विचार जो आज के वैश्विक समाज को शांति सहिष्णुता और सौहार्द का मार्ग दिखाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय मंच की विभूतियों की गरिमा में उपस्थित इस ऐतिहासिक अवसर पर थाईलैंड में महामहिम राजा जनरल ग्रैंड, मास्टर डॉ. सुमपंद रथफट्टाया, इंडोनेशिया के महाराजा वाईएमओकेएम 11 रिच, थाईलैंड सरकार के वरिष्ठ अधिकारी पुलिस लेफ्टिनेंट कर्नल डॉ. मोनरूडी सोमार्ट, अमेरिका के डॉ. परमिंदर सिंह, डॉ. प्रेम प्रकाश, पवन मिश्रा सहित अनेक देश के वरिष्ठ अतिथि उपस्थित रहे। सभी ने डॉ. सौरभ पांडे की वैश्विक दृष्टि, करुणा और आध्यात्मिक प्रतिबद्धता की सराहना की।
इस आयोजन के सूत्रधार और प्रेरणा स्रोत इस समारोह के पीछे धरा धाम इंटरनेशनल, देवनागरी उत्थान फाउंडेशन, यूनाइटेड गिल्ड लंदन और एशिया बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्डस् श्रीलंका जैसी संस्थानों का सशक्त योगदान रहा जो विश्व पटल पर भारतीय संस्कृति, धर्म और सर्वधर्म समभाव को प्रतिष्ठित करने हेतु सतत कार्यरत है।
उद्गार और अनुभूतियों कार्यक्रम में डॉ. सुनील दुबे, मिसेज एशिया यूनिवर्स पूजा निगम और डॉ. अभिषेक कुमार सहित अनेक गणमान्य जनों ने इस आयोजन को केवल एक साहित्यिक कार्यक्रम ही नहीं बल्कि भारत की आत्मा का वैश्विक उद्घोष बताया। यह आयोजन “वसुधैव कुटुंबकम्” और ‘सर्वधर्म समभाव” के आदर्शों को मूर्त रूप देने वाला एक ऐतिहासिक साक्ष्य बन गया ।