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कबीर कोहिनूर पुरस्कार के प्रेरणास्रोत नानकदास महाराज

डाॅ.खन्नाप्रसाद अमीन

नमन उन्हें, जो ज्योति बने हैं,
तम में दीपक प्रखर जले हैं।
कबीर की वाणी को जीवन में उतार,
संघर्षों से संवारें सदी का संचार।

राजस्थान की पुण्य धरती, नागौर का मान,
बड़ी खाटू की माटी से, संतों की है पहचान।
नानकदास महाराज, युगों के संत स्वरूप,
सेवा, प्रेम, और ज्ञान से करें जन-जन को अनुरूप।

सद्गुरु कबीर के चरणों में जिनका दृढ़ आधार,
उन्हीं के विचारों से करते समाज का श्रृंगार।
हर वर्ष सम्मानित करते हैं जो सौ दिव्य रत्न,
कबीर कोहिनूर पुरस्कार से देते श्रद्धा का स्पंदन।

कर्मवीरों को वे पहचानते हैं,
अदृश्य सेवा का मान बढ़ाते हैं।
चाहे छात्र हो या संत,
हर योग्य को करते वे कांत।

संघर्षों में जो दीप बने,
जो सत्य, सेवा के शीश बने।
उनकी पहचान को देश दिलाए,
यह पुरस्कार नव चेतना फैलाए।

नानकदास महाराज हैं प्रेरणा की छाया,
जिनके चरणों में मिलती सच्ची माया।
वह कहते, “सेवा ही सच्चा ध्यान है,”
और यही जीवन का महान प्रमाण है।

चलो उसी पथ पर हम भी चलें,
जहाँ करुणा, समता से मन मचलें।
कबीर का सार, नानकदास की वाणी,
बने देश-समाज की नव कहानी।

जय संत नानकदास महाराज!
जय कबीर कोहिनूर का तेज प्रकाश!

संपर्क सूत्र-
40,शुभम् बंगलोज, धर्मी बंगलोज के पास, जोगणी माता रोड, बाकरोल-388315
तहसील एवं जिला-आणंद, गुजरात

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