
समय की शिला पर हम,
लिखें गीत कुछ ऐसा !
अमिट रहे सदियों तक,
आलोकित हो सूरज जैसा !!
हो शाश्वत और विहायत,
रचना सबके मन को भाए !
आनंदित हो जीवन सबका,
मलय सुगंधित धाए !!
रचनाओं से समाज में,
अपने समानता लाएं !
हो कुरीतियां दूर सभी
सब समदृष्टि अपनाएं!!
भेद-भाव मिट जाएं सारे,
हिय के कलुष मिटाएं!
आनेवाले कल को अपने,
सुंदर, सुखद बनाएं!!
“जिज्ञासु” संकल्प सभी ले ,
अपने कर्तव्य निभाएं!
वसुधा को अब अपने हम,
स्वर्ग सदृश्य बनाएं !!
कमलेश विष्णु सिंह “जिज्ञासु”