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नवभारत वार्ता

(हृदयोत्पन्न भाव)

न — नया सवेरा लेकर आया,
उम्मीदों का दीपक जलाया।
ज्ञान बढ़े, डर मिट जाए,
हर मन में उजियारा छाए।

व — विकास की राह चलें सभी,
मेहनत से ना कोई डरे कभी।
बुद्धि से सिद्ध हों काम हमारे,
अब सपने हों सच, सब के प्यारे।

भ — भारत प्यार, भारत माटी,
धर्म-करुणा इसकी थाती।
देश नहीं बस धरती का नाम,
यह आत्मा का पावन धाम।

ा — अपनी ताकत पहचानो,
अंदर की रोशनी जानो।
“मैं” से “हम” जब बनते हैं,
तभी दो दिल मिल जाते हैं।

र — रचना, पूजा, ज्ञान की बात,
संस्कृति है, सबसे बड़ी सौगात।
धर्म की राह पर जो चलता,
भारत कभी न झुकता-डगमगता।

त — तप, त्याग से जीवन जीना,
दूसरों का दुख भी है, अपना लेना।
सेवा में जो खुशी हमें मिलती,
उसी हृदय वाटिका खिलती।

व — बातों में भी प्यार झलके,
वाणी से भी मधुर बातें करके।
बहस नहीं, समझ हो साथ,
तभी बनती है, संवाद की बात।

ा — हर ध्वनि में हो अपनापन,
भावों में हो मेल मिलापन।
शब्द जोड़ें मन से मन को,
बना दें एक रसमय पुल को।

र — रचनात्मक सोचें हर दिन,
नई राहों पर चलें किसी आशा के बिन।
रूढ़ियों को छोड़ बढ़ें आगे,
सच्चे ज्ञान से दुनिया जागे।

्त — तत्त्व को समझो, सीख बढ़ाओ,
देश के लिए दीप-दीप से जलाओ।
सच की राह कभी न छोड़ो,
हर मानव को मानव से दिल से जोड़ो ।

ा — अंत में हो आनंद का भाव,
शांति-समानता बने प्रभाव।
वार्ता हो दिल से दिल तक,
इस प्रेम का प्रचार-प्रसार हो सब तक।

नव —
नव जीवन है, नई उमंग,
नई किरण, नया तरंग।
सीखें बीते कल की बात,
बुनें मिलकर नयी सौगात।

भारत —
भारत माटी, भाव भरे,
प्रेम, करुणा इसमें बसे।
सत्य, शौर्य जिसकी पहचान,
सबके दिल का हिंदुस्तान।

वार्ता —
वार्ता मन का प्यारा गीत,
जहाँ न रहे कोई भी रीत।
बोली मीठी, भाव सरल,
वार्ता से जीवन हो जाता सरल।

“नवभारत वार्ता” का अर्थ है—
नई सोच में बसी है एक आशा, हर मन में एक दीप जलाना,
नए विचारों से संवरता भारत — एक सपना, एक ठिकाना।
दिल से निकले ये स्वर हमारा — “यह देश है मेरा अपना”,
भारत की माटी से बंधा है, इस जीवन का हर एक सपना।

योगेश गहतोड़ी (ज्योतिषाचार्य)
नई दिल्ली – 110059

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