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सच्चा साथी


रानो.. ,रानो मेरी बात तो सुनो इस तरह क्यों गुस्सा हो रही हो। देखो मैं जो कह रही हूं, वो तुम्हारे भले के लिए ही कह रही हूं। सोचो क्या तुम अपने मां पापा के बिना खुश रह पाओगी? रानो तुम्हारे पापा ने न जाने कितने अरमान सजाए होंगे तुम्हें विदा करने के क्या तुम्हारा ये फर्ज नहीं बनता कि तुम उनके ये अरमान पूरे करों ।मैं तुम दोनों के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन तुम्हारी बचपन की साथी होने के नाते तुम्हें कभी गलत कदम नहीं उठाने दूंगी। नेहा बेड से उठते हुए एक पक्के निश्चय के साथ ये बात बोलती हैं।

रानो और नेहा बचपन की सहेलियां हैं हर सुख दुःख में वो एक दूसरे के साथ रही हैं। रानो एक ऐसे लड़के से प्यार करती है जो उसके पिता समीर कुमार को बिल्कुल पसंद नहीं क्योंकि वो उनकी बिरादरी का नहीं हैं । रानो अपने पिता की इकलौती संतान है उसके पिताजी एक मध्यम वर्गीय व्यापारी है , लेकिन रानो के लिए उन्होंने कभी कोई कमी नहीं रखी बड़ी ही नाजों से उसे पाला है ।
नेहा एक अमीर खानदान से संबंध रखती है जिस कॉलेज और जिस महंगी स्कूल में नेहा पढ़ी उसी स्कूल और कॉलेज में रानो के पिताजी ने भी रानो को पढ़ाया। रानो पढ़ाई में बहुत अच्छी थी और दिखने में भी बहुत सुन्दर। उसे अपने ही साथ पढ़ रहे राघव रायचंद से प्यार हो गया और अब वो उसके साथ शादी करना चाहती थी। राघव भी तैयार था। उसके घर वालों ने पहले तो इंकार किया लेकिन बेटे के जिद के आगे हार गए। अब बात सिर्फ रानो के घरवालों की थी जो किसी भी हालत मानने को तैयार नहीं थे । रानो चाहती थी कि वो राघव के साथ भागकर शादी कर ले । राघव भी इसके लिए तैयार हो गया था । रानो ने जब ये बात अपनी प्रिय सहेली नेहा को बताया तो उसने उसे ऐसे करने से मना किया और उसे कई तरह से समझाने लगी।

रानो: तो तू पक्का मेरा साथ नहीं देगी तू जानती है, मैं राघव के बिना नहीं रह सकती फिर भी तू….
वो अपनी बात पूरी करती उससे पहले ही नेहा बोल पड़ी तू राघव के बिना नहीं रह सकती और अपने मां पापा के बिना रह सकती हैं , रानो जो इंसान तेरी जिंदगी में बस 5 साल पहले आया है उसके लिए तू उनको छोड़ रही है जिनका नाता तेरे जन्म से पहले से तुम्हारे साथ हैं। रानो तुम्हारी मां ने कितनी तकलीफ सही होगी तुम्हें इस दुनिया में लाने को । देख रानो चाहे तू कुछ भी बोले मैं तुम्हारे साथ नहीं हूं ।
इधर आ वो हाथ पकड़े उसे अपने पास प्यार से बिठाते हुए कहती है,” और ठंडे दिमाग से सोच क्या हाल होगा जब तुम्हारे भागने की खबर तुम्हारे मां पापा को मिलेगी? क्या बीतेगी उन पर एक बार सोच जब बिरादरी में उनकी बदनामी होगी ? क्या कुछ नहीं सुनना पड़ेगा जब उनके संस्कारों उनकी परवरिश पर उंगली उठेगी तो उन्हें कितनी तकलीफ से गुजरना होगा क्या तुमने सोचा । अरे वो जन्मदाता है हमारे अभी नहीं मान रहे लेकिन सही तरीके से समझाने पर मान जाएंगे माता पिता को अपनी संतान की खुशी से ज्यादा और कुछ प्यारा नहीं होता । यार अंकल ने कितनी तकलीफों से तुम्हे पढ़ाया अंटी ने कभी अपनी कोई ख्वाहिश पूरी नहीं की ताकि तुम्हारी पढ़ाई का खर्चा अच्छे से हो सके। क्या तू भूल गई वो दिन जब तुमने 12वीं में 90 प्रतिशत अंक प्राप्त किए तब अंकल ने पूरे मोहल्ले में मिठाइयां बांटी थी अंटी कितनी खुश हुई थी जैसे सातवें आसमान में पहुंच गई हो। अच्छा तो ये तो याद होगा जब तुम्हारे जोब लगी तो अंकल ने कैसे सीना गर्व से चौड़ा कर कहा था कि ये मेरी बेटी नहीं बेटा है मेरा नाम रोशन किया है इसने। क्या अब तुम ऐसा कर उनका गर्व से ऊपर उठा सर झुका दोगी? कितने ताने सुने उन लोगों ने तुम्हें आगे पढ़ाने के लिए लोगों ने क्या कुछ नहीं कहा फिर भी उन्होंने तुम्हारा साथ दिया तुम्हें तुम्हारी इच्छा के अनुसार पढ़ने दिया। यार तू कैसे भूल सकती है ये सब। वो अपने दोनों हाथ गालों पर लगा एक लंबी सांस लेती है , फिर रानो के पास घुटनों के बल बैठकर कहती हैं, चाहे जो हो जाए रानो मां पापा का दिल दुखाकर किया गया फैसला कभी सही नहीं हो सकता। उनके आशीर्वाद के बिना ये शादी हमेशा अधूरी रहेगी रानो और तू भी अधूरी रहेगी उनके बिना।फिर उठकर खिड़की के बाहर झांकने लगती हैं। फिर कुछ सोच कर बोलती है क्या कन्यादान का हक भी नहीं देगी तू उन्हें ऐसा क्या गुनाह किया है जो तू उन्हें ये सजा दे रही हैं?
सजा ….सजा मैं दे रही हूं या वो लोग मुझे उन्हें क्यों नहीं समझ आ रहा कि मैं राघव से प्यार करती हूं उससे शादी करूंगी वहीं मेरी खुशी हैं रानो बोलती हैं।
नेहा: मानती हूं कि वो ये नहीं समझ रहे लेकिन उनके भी कारण है राघव रायचंद खानदान का लड़का है जो तुम्हारे पापा की हैसियत से बहुत ऊंचा खानदान हैं अपने से ऊंचे खानदान से रिश्ता जोड़ना कोई आसान काम नहीं होता ये मैं अच्छे से जानती हूं क्या तूं नहीं जानती कि एक लड़की के मां पापा को क्या कुछ नहीं झेलना पड़ता । सोच तुम्हारे पापा कभी राघव के घर की बराबरी कर पाएंगे?? सोच रानो क्या तुम्हें उस घर में अपने मायके वालों की उपेक्षा देख कर बुरा नहीं लगेगा। एक लड़की दो कुलों मान होती है तो क्या तू अपने ससुराल में बिना अपने मायके के खुशी से रह पाओगी ? राघव तुम्हारा भविष्य है तो तुम्हारे मां पापा तुम्हारा भूत , वर्तमान और भविष्य सब हैं। अगर वो दोनों नहीं होते तो तुम कैसे आती जीवन में और अगर वो नहीं होते तो तुम्हारा आज इतना खूबसूरत कैसे होता और उनके दिए संस्कार नहीं हो तो तुम अपना भविष्य कैसे बनाओगी??
सोचना इन सब बातों पर और फिर फैसला करना । अगर इन सबके बाद भी तुम्हारा ये भागकर शादी करने वाला फैसला नहीं बदला तो अपने मां पापा के साथ मुझे भी भूल जाना , और अगर दिमाग थोड़ा सही दिशा में चला जाए तो बताना राघव के पिताजी से पापा को बात करने बोलूंगी वो आकर अगर तेरा हाथ अंकल से मागेंगे तो शायद अंकल मान जाए।
अच्छा चलती हूं मेरी बातों पर गौर से सोचना जरूर।
देख रानो साथी वह नहीं होता जो अपने साथी का हर उल्टे सीधे कदम में उसका साथ दे बल्कि साथी तो वह होता है जो साथी के लड़खड़ाते कदमों को थाम ले , उन्हें संभाल ले , गलत दिशा में उठे कदम रोक दे, सही दिशा की पहचान कराए उसकी गलती से उसे अवगत कराए।
अब बहुत लेट हो गई है घर जाती हूं मां इंतजार कर रही होगी बाय और हां एक बात और कोई भी फैसला लेने से पहले उसके परिणाम के बारे में भी सोच लेना अच्छा हो या बुरा सब तुम्हारे नाम ही होगा। बाय 👋👋👋अपना ख्याल रखना ।।
रुक नेहा क्या अपने दोस्त को गले नहीं लगाएगी आ गले से लग जा जिसकी इतनी समझदार साथी हो उसके कदम गलत दिशा में कैसे उठ सकते हैं ।
क्या??? तू अपना फैसला बदल रही है तू भागकर शादी नहीं करेगी । नेहा खुश होते हुए बोलती हैं।
नहीं कभी नहीं मुझे अपनी इतनी सच्ची साथी को नहीं खोना यार थैंक्स मुझे सही रास्ता दिखाने को।।
ओह मेरी भोली पगली दोस्त मैं पापा से आज ही बात करूंगी तुम्हारे और राघव के बारे में वो जरूर बात करेंगे राघव के पापा से देखना अब तू राघव की ही दुलहन बनेगी वो भी अंकल आंटी के आशीर्वाद के साथ।।

समाप्त।।

विद्या बाहेती महेश्वरी राजस्थान

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