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जीवन एक परीक्षा विद्या : कहानी

मां ये क्या हो गया ? मेरे साथ ही ऐसा होना था, क्यो बार बार भगवान मेरी ही परीक्षा लेता है ? मैने तो कभी किसी से साथ बुरा नहीं किया , यहां तक कि कभी मेरे साथ किसी ने गलत किया फिर भी मेने उसका बुरा नहीं सोचा फिर मेरे साथ इतना गलत क्यों मां? रोती हुई शीतल अपनी मां की गोद में सर रख उनसे सवाल करती हैं।

शीतल एक 22 साल की लड़की हैं, जिसके जन्म के 15 महा बाद ही उसका शरीर पोलियो ग्रस्त हो गया था ।फिर भी वो अपनी जिंदगी को हंसी खुशी जी रही थी । अपनी कमजोरी को उसने अपनी ताकत बनाया और जीवन पथ पर अग्रसर हो गई ।
जब वो स्कूल जाती तो लोग उसे यूं चलता देख बाते बनाते या बच्चे उसका मजाक उड़ाते उसको लगंडी कहकर भी चिढ़ाते पर कभी भी उसने पलट कर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। ऐसे ही उसने स्कूल की पढ़ाई पूरी कर ली । अब वो कॉलेज के साथ साथ सीए की पढ़ाई भी करने लगी , लेकिन एग्जाम के 2 दिन पहले ही उसका पांव फिसल गया और उसके दाएं हाथ की हड्डी टूट गईं। उसने अपने परीक्षा के लिए जी तोड़ मेहनत की थी , पर अब वो यही सोच परेशान हो रही थी की वो पेपर कैसे देंगी? क्योंकि उसका बायां हाथ तो पोलियो से ग्रस्त था और अब दाएं हाथ से भी लिख नहीं सकती थी।
ऐसे ही ना जाने कितनी मुश्किलें उसके जीवन में आई थी पर हर बार उसने हिम्मत , सहनशीलता , और धीरज से काम लिया लेकिन आज पता नहीं क्यों उसकी हिम्मत टूट गई अपनी मुश्किलें उसे हताश कर रही थी, शायद पेपर के लिए उसकी तैयारी उसे पर्याप्त लग रही थी या अपनी जिंदगी की परेशानियों को झेलते झेलते थक गई थी।

शीतल की मां ने उसे अपनी गोद से उठाया और उसके आंखों से बह रहे आंसुओं को पोंछा और बड़े ही प्यार और स्नेह से बोली , “तुम तो मेरी बहादुर बच्ची हो ऐसी कितनी परीक्षाएं तो तुमने पास भी कर ली ले हैं ,तो फिर आज भगवान पर सवाल क्यों ? मेने हर बार तुम्हें बताया है की भगवान वही देता है जैसे हमारे कर्म होते हैं , बेटा जरूरी नहीं की तुमने इसी जन्म में किसी का बुरा किया हो , ना जाने कितने जन्मों के हिसाब किताब होते हैं इस मनुष्य जीवन में । ये जीवन सबके लिए एक परीक्षा ही हैं । बहुत से ऐसे उदाहरण है जिन्होंने अपने जीवन में अच्छाई के सिवाय कुछ किया ही नहीं फिर भी उन्हें वो सब सहन करना पड़ा जो बहुत बड़ा अपराधी करता हैं ।
बेटा तुम अपना बोल रही हो की मेने कभी किसी का बुरा नहीं किया और ये बात मैं भी मानती हूं तुम किसी का बुरा कैसे कर सकती हो जब तुम सिर्फ 15 माह की थी तब ये पोलियो तुम्हें हुआ उस वक्त मेने भी यही सवाल किया था भगवान से की हे भगवान इस नन्ही सी जान ने किसी का क्या बिगाड़ा है जो ये सजा मिल रही हैं इसे, तब मुझे तेरी दादी ने धीरज बंधाया और बोली की बहु ये इसके पिछले जन्म के कर्म है पर इसने कुछ अच्छे कर्म भी किए होंगे जो इसे ये मनुष्य जीवन मिला है। अब ये तुम पर निर्भर करता है जीवन की इस परीक्षा में तुम किस प्रकार अपनी बेटी को तैयार करती हों?तुम किस लायक बनाती हो?
बेटा वैसे ही आज तुम भी भगवान से सवाल कर रही हो, तो सोचों माता सीता ने क्या किया था जो रावण उन्हें ले गया  , द्रोपति ने ऐसा क्या किया था जो उसे पांच पतियों की पत्नी बनना पड़ा ,और चीर हरण जैसी घटना उसके जीवन में घटी। भीष्म पिता माह ने क्या किया था जो बाणों की शेया पर सोना पड़ा।
बेटा ये जीवन एक परीक्षा ही है यहां हर कोई अपने हिस्से की परीक्षा देता हैं तुम तो अभी ये पेपर नहीं दे सकती कोई बात नही अगले टर्म में दे देना । इससे तुम्हारी और अच्छी तैयारी हो जाएगी । हो सकता है अभी तुम्हारी तैयारी अच्छी नहीं थी तुम परीक्षा देकर भी पास नहीं होती तो सोचों? भगवान हमेशा हमारा भला ही करता हैं यही सोच कर जीवन में आई परीक्षा को पार करना चाहिए । बेटा हर मानुष हर घड़ी परीक्षा देता हैं ,लेकिन भगवान बाधा उसी के जीवन में डालता है जिसमे उस बाधा को पार करने की क्षमता हो जिस पर भगवान को भरोसा हो की नहीं इसके लिए ये बाधा कोई असर नहीं करेंगी जैसे अध्यापक होसियार विधार्थी को कठिन प्रश्न देता है क्योंकि वो जनता है की ये प्रश्न ये विधार्थी हल कर सकता हैं  वैसे ही भगवान भी परीक्षा उसी की लेते हैं जो उस परीक्षा देने के काबिल होता हैं ।कभी भी जीवन में आई कठिनाइयों से घबराओ मत उनका सामना करो क्योंकि ये जीवन एक परीक्षा ही हैं ।”
अपनी मां की बात सुन शीतल कहती हैं ,”आप सही कह रहे हो मां हो सकता है मेरी तैयारी पूरी नहीं हो हमेशा सोच को सकारात्मक रखो सारी परीक्षा पार हो जायेगी थैंक्यू मां।।”

जय माता जी की
विद्या बाहेती राजस्थान।।

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