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शुभ प्रभात अलबेला

नीले-नीले आसमान तले,
तारों का है प्यारा बसेरा,
टिम-टिमाते, जगमगाते
जैसे सपना हो सुनहरा।

दूर कहीं अम्बर की गोदी में,
चाँद का छोटा-सा डेरा,
रोशनी में भीगे आँगन में
जुगनुओं का मस्त अठखेला।

अंधकार को चीर निकलता,
संघर्षरत सुनहरा सवेरा,
तन को पुलकित कर जाता,
मन में भरता चंचल बसेरा।

मुर्गे की बांग, कोयल का गान,
मोर की थिरकन, तीतर की शान,
हर ओर बिखरी जीवन-लहरी,
प्रकृति का अनुपम वरदान।

पर जब-जब देखूँ मैं तेरी सूरत,
धुंधला जाए ये सारा नज़ारा,
तेरी आँखों की रोशनी में,
सुबह का जादू भी लगे… बस गुज़ारा।
आर एस लॉस्टम

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