
कृपया ध्यान दें !!
पहली बात तो आप अपने सुख-समृद्धि के लिए पूजा पाठ कराते हैं ।।
अपने जाने-अनजाने हजारों-लाखों प्रकार के दु:ख-निवारण के लिए आप पूजा पाठ कराते हैं ।।
इसलिए—
एक दिन में जो धन कमाते हैं आप, ब्राह्मणों उससे कम दक्षिणा देकर कर्मकांड नही कराना चाहिए ।।
जिस प्रकार आप गुरुका सम्मान करते हैं वरिष्ठों को सम्मान देते हैं यदि वही सम्मान ब्राह्मणको आप दे रहे हैं, आपका किया हुआ पूजा पाठ हवन, तभी फलित होगा ।।
बहुत सारे लोग ऐसे ब्राह्मण की खोज करते हैं दक्षिणा तय करते हैं कि जो बहुत कम पैसा ले ले, और हमारा हवन कर दे, गृह प्रवेश कर दें, हमारा गृहारम्भ कर दें ।।
तो आजकल बहुत सारे ब्राह्मण मिलते हैं आटोरिक्शा चलानेवाले कंपनियोंमें कामकरने वाले स्कूलोंमे पढ़ानेवाले, ज्योतिषी लोग भी पूजा करने लगते हैं ।।
इस तरह से अनेक-प्रकारके– पूजा करने वाले, जिन्हे मंत्र बोलने का ढंग नही, ऐसे ब्राह्मणों को—
कि जो शास्त्री, आचार्य हैं गुरुकुलों में शिक्षा ली है , गुरु की सेवा दो, चार वर्ष रहे हैं ।
दोनों ब्राह्मण को एक तराजू में ना तौलें ।।
कम पैसा मे कार्य हो जाए इसलिए अपरिपक्व लोगों को पूजा में बुलाकर आप विशिष्ट ब्राह्मणों को उसी श्रेणी में रखकर अपमान और अत्याचार ना करें ।।
समाज के निर्माण में केवल ब्राह्मणों का दायित्व नहीं है कि, वह बहुत बढ़िया पढ़ लिखकर आपके सामने आकर के अपनी विद्वता प्रकट करें ।।
आपको विशिष्ट ब्राह्मणों की खोज करनी चाहिए । पैसा आप रोज कमाते हैं कर्मकांड साल में एक-दो बार कराते हैं ।
उसके लिए आपको चाहिए कि– परिचित ब्राह्मण, विद्वान ब्राह्मण, प्रमाणिक– शास्त्री और आचार्य ब्राह्मणों से ही कर्मकांड करायें ।।
एक सबसे बड़ी समस्या तब उत्पन्न होती है जब कोई फोन करके कहते हैं कि हमारे सम्बन्धी के यहां, यह कार्य है पंडितजी आप उनकी पूजा कल करवा दीजिए ।
हर कार्यका साइत होता है, पर्ची लिखी जाती है, सामानकी जानकारी दी जाती है,
इसके लिए पहलेसे बहुत कम लोग संपर्क करते हैं ।
जिस ब्राह्मणसे आपको कर्मकांड करवाना हो कम से कम एक सप्ताह, दश दिन पहले आपको जानकारी होती है अपने कार्य की । तभी संपर्क करना चाहिए, जिससे आपका कार्य सुंदर बने आपको ठीक से विद्वान मिल सकें ।।
{ऐसे लोग— जो गुटका, रजनीगंधा, खाते हैं, बीड़ीपीते है, जप-अनुष्ठान,, पूजाके समय मोबाइल चलाते, जप के बीचमें बात करते-रहते, काले-नीले कपड़े पहनते, बिना चोटी व जनेऊ वाले, संध्या-गायत्री न करने वाले, अपनी बड़ाई करनेवाले लोग ब्राह्मण की कोटि मे नही आते ।।
इनसे कोई भी कर्मकांड नहीं कराना चाहिए ।।
जानना और मानना यह दोनों अलग-अलग विषय है । मैंने आपके हितमे लिखा आपने पढ़ा और जाना । यदि आप इस विचारको मानते हैं तो आपकी इच्छा ।।
धन्यवाद !!
लेख—-
पं. बलराम शरण शुक्ल
नवोदय नगर हरिद्वार