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हिंदी


दिनांक : 13 अगस्त , 2025
दिवा : बुधवार
हिंदी हिंद का हिंदमहासागर ,
हिंदी हिंद के शीश का पागर ।
हिंदी हमारी सभ्यता संस्कृति ,
हिंदी विश्व में करता उजागर ।।
हिंदी हिम सा शीतलता देता ,
हिंदी हिंग सा शुद्ध करे पाचन ।
हिंदी शब्दकोश बहुत ही बड़ा ,
जन जन प्रेम से करता वाचन ।।
हिंदी ही हमारे राष्ट्र की भाषा ,
हिंदी ही राष्ट्र की है अभिलाषा ।
हिंदी उपयोग हो राष्ट्र कार्यालय ,
हिंदी हो कायम हिंद राष्ट्रभाषा ।।
हिंद तो आज आजाद है किंतु ,
हिंदी बना हिंद का ही गुलाम ।
हिंदी ही है संस्कृत की संस्कृति ,
दुनिया करती जिसको प्रणाम ।।

अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )
बिहार ।

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