
राजकीय जिला पुस्तकालय वाराणसी में मनाया गया पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस
पद्मश्री डॉक्टर एस .आर. रंगनाथन की जयंती को विभिन्न पुस्तकालय विशेषज्ञों , साहित्यकारों , स्थानीय लेखकों, कवियों एवं पाठकों द्वारा राजकीय जिला पुस्तकालय में पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस मनाया गया ।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ गीतकार डॉ. अशोक कुमार सिंह तथा मुख्य अतिथि यू पी पी जी कॉलेज वाराणसी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. अमिताभ राव ने किया। सारस्वत अतिथि एवं मुख्य वक्ता वरिष्ठ नवगीतकार पूर्व अपर आयुक्त प्रशासन वाराणसी ओमप्रकाश चौबे “ओम धीरज” तथा वरिष्ठ पत्रकार एवं गीतकार हिमांशु उपाध्याय रहे । विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ गजल कर सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध, गिरीश पांडेय काशिकेय एवं व्यंग्यकार देवेंद्र कुमार पाण्डेय ने प्रतिभाग किया ।
पुस्तकें हमारी सर्वोत्तम मित्र हैं जीवन के रहस्यमयी संसार की जानकारी एवं सफलता की कुंजी के रूप में सदैव मार्गदर्शन करती हैं पुस्तकों का दुनिया में कोई विकल्प नहीं है ।
आज जिस प्रकार बच्चों के हाथ से पुस्तकें दूर हो रही हैं निश्चित रूप से एक अत्यंत दुखद संदेश है ।मोबाइल ,कंप्यूटर एवं आधुनिक उपकरण संचार प्रणाली विभिन्न प्रकार की डिवाइस निश्चित रूप से हमको ज्ञान के असीम भंडार से जोड़ती है परंतु पुस्तकों के पढ़ने का सुख, पुस्तकों से पढ़ने वाला प्रमाणिक ज्ञान केवल पुस्तकें ही प्रदान कर सकती है उक्त विचार कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉक्टर अशोक कुमार सिंह ने व्यक्त किया ।
मुख्य अतिथि डॉ अमिताभ राव ने कहा कि हमको फिर से पुस्तकों की ओर चलना होगा । प्राथमिक विद्यालय से लेकर उच्च शिक्षा के संस्थानों में जो पुस्तकालय हैं उनमें भी सुधार की आवश्यकता है उन्होनें ग्रामीण पुस्तकालय भी विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया ।
पठन पाठन की गतिविधियां विकसित करने में सार्वजनिक पुस्तकालय विशेष रूप पूरी दुनियां में सराहनीय कार्य कर रहे हैं ।वाराणसी का राजकीय जिला पुस्तकालय जिस प्रकार से पिछले चार-पांच वर्षों में उल्लेखनीय कार्य किया है ,बच्चों को अपने साथ जोड़ने का काम किया है वह निश्चित रूप से अत्यंत सराहनीय कदम है उक्त विचार सारस्वत अतिथि के रूप में बोलते हुए ओम धीरज जी ने व्यक्त किए ।
पुस्तकों में छिपा ज्ञान का खजाना साहित्यकार , विचारक एक वैज्ञानिक का शोध है जिसके माध्यम से सभी लोग उस कालखंड में हुए विकास की यात्रा कर सकते हैं ।
हिमांशु उपाध्याय ने कहा कि संवेदनशीलता जिस प्रकार से मर रही है ,मनुष्य मशीनी होता जा रहा है ऐसे में केवल साहित्य और सार्वजनिक पुस्तकालय ही जीवन यात्रा में मार्गदर्शक बन सकते हैं ।
इस अवसर पर डॉ शरद कुमार शरद, गिरीश पांडे ,सिद्धनाथ शर्मा, देवेंद्र पांडे , संजय राय ,संतोष प्रीत, विजय चंद्र त्रिपाठी ,विजय पाठक ,राजीव गौड़ ,कुमार महेंद्र, रजनीकांत त्रिपाठी ,डॉ अशोक अज्ञान ,गुरु प्रसाद गुप्ता , आनंद कृष्ण मासूम ने भी सार्वजनिक पुस्तकालय के महत्व पर विचार डाला तथा अपनी रचनाओं से सबको मंत्र मुक्त कर दिया । पुस्तकालय के बहुत से बच्चों ने भी पुस्तकालय लाभ के बारे में अपना अनुभव साझा किया ।
कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन पुस्तकालय अध्यक्ष कंचन सिंह परिहार ने किया ।