
.उसने देखा नहीं है.
हैं मेरे पास खुद अपनी
बदनसीब यादों का बसेरा
तेरे लिए बस्ती
फूलों की संभव नहीं है।
हारी हुईं बाजी का
नतीजा यही है ,
आज तक करीब से
हमने तुमको देखा नहीं है।
हम मरहम लगाते है
खुद अपने गमों पे
तेरे हाथों ने मेरे जख्मो
अब तक छुआ नहीं है।।
नीर नयन से
बात करते हैं वो
जिनकी हथेलियो पे
मेरे नाम की मेंहदी नहीं है।।
पुराने खंडहर सी
हो गई है जिंदगी मेरी
खुशियों के चिराग
अब यहां जलते नहीं है।।
तलाश हैं उसको
कही आज
गुम चुकी तस्वीरों की
प्रेम के प्रतिरूप को
उसने देखा नहीं है।।
नीरज चौधरी नीर इटारसी मध्य प्रदेश