
{विवाह दिवसोत्सव कार्यक्रम नवीन परम्पराओं मे से है, फिर भी इसका एक बड़ा सुंदर सामाजिक-सांस्कृतिक लाभ भी है}
विवाह संस्कार के अंतर्गत विवाह के समय आजकल अनेकों कार्यक्रम जैसे—
{पटाखे फोड़ने, तेज आवाजमें गीत बजाकर नाचने जयमाल कार्यक्रम जितने भी नई-नई आनन्दकी रस्में जुड़ी हैं उसमें अधिक समय लग जाता है}
*जिसके नाते वर-कन्या के विवाह के समय आचार्य के द्वारा वर-कन्या को जीवन {सम्बन्धी-नियम जानकारी} का जो दायित्वबोध कराया जाना चाहिए,
विवाह के अवसर पर अनेकों कार्यक्रमों में अधिक समय लग जानेके नाते जो जानकारियां उस समय नहीं दी जा सकी थी,
उसको {विवाह-दिवस} के अवसर पर वह महत्वपूर्ण जानकारी दी जाती है जिससे उसकी परिपूर्ति हो जाती है ।।
विवाहदिवस एक महत्वपूर्ण अवसर है जो पति-पत्नी के बीच प्रेम, समर्थन और साझेदारीको दृढ़ करनेके लिए मनाया जाता है । यह दिन विवाहित जोड़ों को अपने सम्बन्धको और प्रगाढ़ करने, एक दूसरेके प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहरानेका अवसर प्राप्त होता है ।
विवाह दिवस के अवसरपर, पति-पत्नी एक दूसरेको उपहार देते हैं माल्यार्पण करते हैं और ग्रन्थिबन्धन की जाती है
देवपूजन, पितरोंकी पूजा, पंचतत्वपूजन, नवग्रहपूजा माल्यार्पण तथा हवनका कार्यक्रम होता है और सनातन धर्मके सम्बन्धमें विशिष्ट जानकारी और समस्त परिवार को ब्राह्मण केद्वारा आशीर्वचन प्रदान किया जाता है ।।
हरिकृपा ।।
मंगल कामना ।।