
हे सृजन देव! वर मुझे दीजिए,
मन में पावन प्रकाश दीजिए।
वाणी में मधुरता बसा दीजिए,
कर्म-पथ को उज्ज्वल बनाइए।
लोभ, क्रोध सब दूर हटा दीजिए,
शांति-सुगंध जग में फैला दीजिए।
ज्ञान का सूरज चमका दीजिए,
अंधकार का परदा हटा दीजिए।
गलत विचार सब मिटा दीजिए,
सद्भावना और प्रेम बढ़ा दीजिए।
सत्य और धर्म मार्ग बता दीजिए,
हर जन-मन में न्याय जगा दीजिए।
परहित पथ मुझे दिखला दीजिए,
दया-कृपा की वर्षा नित कीजिए।
लोभ-मोह के बंधन तोड़ दीजिए,
आत्मा में प्रभु-दीप जोड़ दीजिए।
ममता का अमृत बरसा दीजिए,
विरोध का जहर आप हटा दीजिए।
धैर्य, साहस मन में भर दीजिए,
कठिन राह पर संबल दीजिए।
हे सृजन देव! मुझे वर दीजिए,
मानवता का मंगल कर दीजिए।
विश्व-बंधुत्व का दीप जला दीजिए,
धरती को स्वर्ग समान बना दीजिए।
योगेश गहतोड़ी