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कहूं, या ना कहूं

   दिल की बातें, दिल

में रह गई अरसा बीता।
आज सोचती हूं, कहूं, या ना कहूं—
संग तुम्हारे बीते पलों को
सहेज कर,छुपा कर
दिल में रखा है आज तक,
कहूं, या ना कहूं—–
राह अलग पकड़ी तुमने
बरसों पहले, इंतजार में
आज भी हूं मैं। कहूं, या ना कहूं——
सालों बाद आज मिले
तुम,अजनबियों सा भाव लिए।
नयन सरसी जल से भर आए,
बैठी तुमसे आस लगाए।
कहूं, या ना कहूं——

सुलेखा चटर्जी,

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