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“कल्पकथा काव्यगोष्ठी” के नवीन शिल्पकार बनेराष्ट्रीय कवि नीरज कुमार “नीर”


उच्चस्तरीय हास्य और श्रृंगार सृजन की साक्षी बनी ,24 अगस्त दिन रविवार को कल्पकथा परिवार द्वारा आयोजित साप्ताहिक ऑनलाइन काव्यगोष्ठी में जो हास्य और श्रृंगार सृजन पर आयोजित की गई थी
इस आयोजन के सूत्रधार वरिष्ठ महोदय
पण्डित अवधेश प्रसाद मिश्र मधुप बनारस, भगवानदास शर्मा प्रशांत की समीक्षा में नीरज कुमार की रचनाओं को अद्भुत अलौकिक रचना का दर्जा दिया गया। साहित्यकारों के बीच सफर में
प्रथम बार जुड़े इटारसी मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय कवि एवं पत्रकार नीरज कुमार चौधरी नीर ने “प्यार तेरा कभी खिच खिच कभी किशमिश सा लगता है।” सुनाते हुए माहौल में रंग भर दिया।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में
नीरज की हास्य व्यंग्य पर प्रस्तुत रचना
“मेरे गम में” और भी अद्भुत मुक्तकों के माध्यम से उपस्थित अतिथि गणों का मन मोह लिया।
आयोजन की नींव के रूप में
कल्पकथा साहित्य संस्था की संवाद प्रभारी ज्योति राघव सिंह ,कल्पकथा संस्थापक दीदी राधा श्री शर्मा ने कृष्ण भक्ति के अनुपम सृजन ,पण्डित अवधेश प्रसाद मिश्र मधुप मौजूद रहे।
आयोजन में प्रमोद पटले, भगवानदास शर्मा प्रशांत, बिनोद कुमार पाण्डेय, पण्डित अवधेश प्रसाद मिश्र मधुप, डॉ शशि जायसवाल, दुर्गादत्त मिश्र बाबा, भास्कर सिंह माणिक, सुनील कुमार खुराना, मानिंद्रा कुमार श्रीवास्तव फुर्तीला बनारसी, आत्म प्रकाश कुमार, रमेश चंद्र गौतम, डॉ मंजू शकुन खरे, पवनेश मिश्र, आदि ने भी काव्य पाठ किया।

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