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सनातन धर्म के अस्तित्व की रक्षा हेतु गयाजीमें पिंडदान अंत्येष्टि संस्कार का अनिवार्य कृत्य

शुभ संवत् 2082 भाद्रपद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा अर्थात् 7 सितंबर 2025 से पितृपक्षके बारेमें आपको दो लेख भेजा जा चुका है ।

— पितृपक्ष के समय पर सभी सनातनी, गयाजी में अपने पितरों के पिंडदान करते हैं, यदि एक पिता के चार पुत्र हैं तो बड़े पुत्र अथवा सभी पुत्र पिंडदान, एक साथ या अपने-अपने समय के हिसाब से गया जी में जो पिंडदान करते हैं तो उसका लाभ आने वाली पीढ़ी को भी पूर्ण रूप से मिलता है ।
इसलिए जो लोग समर्थ हैं उन सभी को हृदयमे उपजे धर्मानुसार सभी भाइयों को सपरिवार सामूहिक रूप से पिंडदान हेतु गयाधाम मे अवश्य जाना चाहिए ।

क्योंकि चारों धाम सभी के लिए है, पितरों का तर्पण करना सभी के लिए आवश्यक है,
श्राद्ध अथवा कोई भी विवाह आदि– यदि एक संयुक्त परिवार है तो एक ही जगह होता है, और परिवारके लोगोंमें से अलग-अलग शहरोंमें चले जाने पर अपने-अपने ढंग से हर व्यक्ति अपने पितरोंका अपने पिता का श्राद्ध भी करते हैं, तर्पण भी करते हैं ।
इसलिए गयाजी में भी जाने के लिए समर्थ होने पर सभी भाइयों को सब परिवार अवश्य पिंडदान में भाग लेना चाहिए ।
असमर्थ होने पर एक ही पुत्र के जाने पर भी उसकी पूर्ति मानी ही जाती है ।।

क्रमशः …………

निवेदन—
जो हमारे आचार्य गण हैं, उनसे निवेदन है कि इस सम्बन्ध में हमारा मार्गदर्शन करें, जिससे जो कुछ कमी हमारे लिखने में हो रही हो तो, उसको भी हम पुनः लिखकर समाज को भेज सकें ।।

अगले लेख में पूरे १६ दिन विधि विधान से तर्पण करने की जानकारी मैं आप तक भेजने का प्रयास है—
हरिकृपा ।।
लेख– पं. बलराम शरण शुक्ल हरिद्वार

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