
“जिसे देता ये जहां सम्मान
जो करता है देशों का निर्माण
जो बनाता है इंसान को इंसान
जिसे करते हैं हम सभी प्रणाम”
हमारे देश में शिक्षा के क्षेत्र में जो क्रांति का उदय हुआ है उसमें शिक्षकों का विशेष योगदान है। गुरु शिष्य परंपरा तो हमारी संस्कृति की पहचान है। हमारे देश में शिक्षक अर्थात गुरु को तो भगवान से भी बढ़कर बताया गया है। संस्कृत का यह श्लोक दर्शाता है कि प्राचीन काल से ही प्राचीन काल से ही भारत में गुरुजनों को कितना सम्मान दिया है जाता रहा है।”गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।।
अर्थात गुरुजी ब्रम्हा हैं, गुरु ही विष्णु हैं,गुरु ही शंकर हैं, गुरु ही साक्षात परम ब्रह्म हैं ऐसे गुरु का मैं नमन करता हूं।
आज शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बदल चुकी है, जहां पहले गुरुकुल प्रणाली के अंतर्गत शिक्षा दी जाती थी वहीं आज ई -लर्निंग का चलन आ चुका है। आज हम डिजिटल इंडिया में प्रवेश कर चुके हैं, जिसका असर हमारी शिक्षा प्रणाली पर भी पड़ा है। घर बैठे साथ समंदर पार के शिक्षक भी हमारे शैक्षणिक विकास में सहयोग दे रहे हैं।
किंतु आधुनिकता और नई तकनीकी के इस दौर में हमारे शिक्षकों की भूमिका पर शिक्षक दिवस का महत्व क्या है इस पर विचार करना आज की प्रासंगिकता हैं क्योंकि आज जहां एक तरफ हमारे साक्षरता कि दर बढ़ रही है वहीं दूसरी तरफ समाज में नैतिक मूल्यों का ह्रास होता जा रहा है।
आज देश में भर्ती अराजकता के लिए कहीं न कहीं हमारी शैक्षणिक व्यवस्था भी जिम्मेदार है। बाल्यपन वो नींव है जहां उसमें आध्यात्मिक शिक्षा की साथ-साथ नैतिक मूल्यों का बीज भी रोपित किया जाता है। जिससे बचपन से ही बच्चे सामाजिक मुनियों को समझ सकें। आज उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के लिए अधिक फीस देनी पड़ती है,जो सामान्य वर्ग के लिए एक सपना होती है। लिहाजा एक बहुत बड़ा बच्चों की वर्ग उचित शिक्षा के अभाव में रास्ता भटक जाता है। कई जगहों पर तो नकल से पास कराने में शिक्षक इस तरह सहयोग करते हैं की बच्चों के मन में उनके प्रति सम्मान न रहकर एक व्यवसायी की तस्वीर घर कर जाती है।
“जिसकी छाया में मिलता ज्ञान
जो कराते जो कराते सही दिशा का पहचान सही दिशा
वह है मेरा गुरु! मेरे गुरु को मेरा शत -शत नमन!
डॉ मीना कुमारी परिहार