
हर इंसान सपने देखता है,
हर सपना कुछ अलग होता है।
मैंने एक सपना देखा है।
स्वच्छ निर्मल आकाश होगा,
स्वस्थ नयी पीढ़ी होगी।
किसी भी शहर में
वृद्ध आश्रम नहीं होंगे,
नाती पोतों के साथ वृद्ध खुश होंगे।
युद्ध के धमाके नहीं होंगे,
जाति धर्म के मसले नहीं होंगे।
समाज में शिक्षित लोग होंगे,
हर परिवार चैन की रोटी खाएगा।
हर इंसान सुख की नींद सोएगा।
मुझे विश्वास है हमारे देश में
एक दिन वो भी आएगा।
सुलेखा चटर्जी