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चलो नेह का दीप जलाऍं


आओ हम तुम एक हो जाऍं ,
अहम रूपी तम को मिटाऍं ।
मनु वंशज मनुज हैं हम सब ,
चलो नेह का दीप जलाऍं ।।
ये जाति धर्म कहाॅं से आए ,
एक मनु वंशज हम कहलाए ।
सूर्य चंद्र अग्नि को हम पूजे ,
इंसा धर्म हम निभाते आए ।।
पाते गए जबसे ये ज्ञान हम ,
आपस में ही हम बॅंटते आए ।
जाति उपजाति औ धर्म बॅंटे ,
इंसानियत तबसे घटते आए ।।
कहाॅं था तब ये मंदिर मस्जिद ,
सूर्य चंद्र अग्नि से डरते आए ।
मानव मानव एक थे ये पहले ,
हिंसक पशु से लड़ते आए ।।
एक हो जाऍं हम सब फिर से ,
एक हिंदुस्तानी हम बन जाऍं ।
मानव मानव हम एक बनकर ,
नवशक्ति हम फिर अपनाऍं ।।

अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )
बिहार ।

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