
(१)
माता-पिता का दिया प्यार है पितृऋण,
इस जीवन का एक उपहार है पितृऋण।
हर साँस का सच्चा आधार है पितृऋण,
सबका उजियारा संसार है पितृऋण।।
(२)
बचपन की हँसी में बसा है पितृऋण,
संस्कारों की राह दिखाता पितृऋण।
हर रिश्ते में मिठास जगाता पितृऋण,
जीवन को सही बनाता पितृऋण।।
(३)
त्याग और ममता का नाम है पितृऋण,
हर दिन का अनुपम काम है पितृऋण।
सुख-दुख में साथ निभाता पितृऋण,
जीवन को राह दिखाता पितृऋण।।
(४)
पितृपक्ष का भाव समझाता पितृऋण,
श्रद्धा से मन को झुकवाता पितृऋण।
तर्पण से आशीष दिलाता पितृऋण,
हर हृदय को कृतज्ञ बनाता पितृऋण।।
(५)
पूर्वजों की स्मृति जगाता पितृऋण,
हर पीढ़ी को जोड़ सिखाता पितृऋण।
जीवन का सच्चा सहारा पितृऋण,
हम सबका स्नेहमय तारा पितृऋण।।
(६)
सुख-शांति का द्वार खोलता पितृऋण,
समृद्धि का आधार बनता पितृऋण।
आशीषों से जीवन सजता पितृऋण,
हर मन को उजियारा देता पितृऋण।।
(७)
धैर्य और सहनशीलता है पितृऋण,
आकाश-सी ऊँचाई है पितृऋण।
हर संकट में रक्षा करता पितृऋण,
जीवन की सच्चाई है पितृऋण।।
(८)
कृतज्ञता का गीत सुनाता पितृऋण,
हर मन को साथ निभाता पितृऋण।
भूत और भविष्य मिलाता पितृऋण,
जीवन को सुंदर बनाता पितृऋण।।
(९)
विरासत की सच्ची शान है पितृऋण,
हर परिवार की जान है पितृऋण।
संस्कारों की पहचान है पितृऋण,
मानवता का प्राण है पितृऋण।।
(१०)
हर श्वास का मधुर पूजन है पितृऋण,
जीवन का अमूल्य अर्जन है पितृऋण।
धरती पर स्वर्ग समान है पितृऋण,
मानव का जीवन-गान है पितृऋण।।
योगेश गहतोड़ी “यश”