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हिंदी दिवस

(१४ सितम्बर)

काव्य रचना

हिंदी है आत्मा भारत की, हिंदी है पहचान,
हिंदी से ही जग में गूँजे, अपने मन का गान।

संस्कृति की मधुर सुरभि है, वेदों का अभिमान,
हिंदी से ही जग में फैला, प्रेम-भक्ति का ज्ञान।

मातृभाषा में है छिपा, जीवन का साकार,
हिंदी है भारत की धरा, हिंदी है संसार।

भाषाओं के सागर में जो, मोती बनकर चमके,
हिंदी अपने गौरव से ही, जन-जन का मन थामे।

१४ सितम्बर का यह दिन, करता हमें याद,
हिंदी से ही जग में फैले, प्रेम, शांति, संवाद।

रचना / कवि

श्रीमद्जगद्गुरुनिम्बार्काचार्य विद्यावारिधि
“अतुल कुमार मिश्र जी महाराज”
श्रीनिम्बार्क सेवासंस्थान, अमेठी

सहयोग — प्रकाशन
श्रीमद्जगद्गुरुनिम्बार्काचार्य विद्यावारिधि”अतुल कुमार मिश्र जी महाराज श्रीनिम्बार्क सेवासंस्थान अमेठी पोर्ट लुईस (मारीशस) ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र
डॉ. राधा शास्त्री, मॉरीशस

हिंदी दिवस पर मातृभाषा को नमन

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