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ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्

योगिनीवृन्दवन्द्यश्री: शत्रुघ्नोऽनन्तविक्रम:
ब्रह्मचारीन्द्रियरिपुर्धृतदण्डो दशात्मक:।
अप्रपञ्च: सदाचार: शूरसेनाविदारक:
वृद्ध: प्रमोद आनन्द: सप्तदीपपतिन्धर:।।
{श्रीहनुमतसहस्त्रनाम,१२०-२१}

अर्थ–
योगिनीवृन्द के द्वारा वन्दनीय शोभास्वरूप, शत्रुओं का हनन् करने वाले, अपार पराक्रशाली, ब्रह्मचर्यासन में विचरण करने वाले, इन्द्रियों के शत्रु अर्थात जितेन्द्रिय, दण्डधारी {गदाधारी}, दशावतार स्वरूप, संसार के प्रपंच से रहित,सदाचारयुक्त, शूर पुरुषों की सेना को विदीर्ण करने वाले, सब प्रकार से बड़े, प्रमोद वृत्ति स्वरूप, आनन्द स्वरूप, सप्तदीपपतियों को धारण करने वाले…..
श्री हनुमानजी महाराज को प्रणाम है ।।

हरिकृपा ।।
मंगल कामना ।।

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