
“युवा, तुम हो देश की आशा
नई उमंगों का संचार
हर मुश्किल को पार करो
बनो तुम देश के भाग्य विधाता”
युवा शक्ति किसी भी देश और समाज की रीढ़ होती है। युवा ही देश और समाज को नए शिखर पर ले जाते हैं। यह एक प्रेरणादायक नारा है जो युवाओं को आगे आने और रचनात्मक कार्यों में संलग्न होने के लिए प्रोत्साहित करता है। साधारणतः इसका अर्थ है कि युवा पीढ़ी को अपनी शक्ति और क्षमता को पहचान कर समाज और राष्ट्र के विकास में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। देश की युवा शक्ति देश के भावी भविष्य,
प्रगति व उत्थान काम मजबूत स्तंभ होती है, चाहे कोई भी देश हो।
युवा किसी भी देश की आबादी का सबसे गतिशील और महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। आंकड़े बताते हैं कि विकासशील देश जहां युवा आबादी बहुत ज्यादा है, वहां सभी क्षेत्रों में जबरदस्त विकास हो सकता है। राष्ट्र निर्माण हो या विकास में युवाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि किसी भी राष्ट्र का विकास भाभी पीढ़ी पर निर्भर करता है। लोकतंत्र, अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा, गरीबी ,बेरोजगारी, ग्लोबल वार्मिंग और कई तरह के प्रदूषण आज दुनियां की समस्याएं हैं। इन सभी समस्याओं का समाधान का जवाब अगली पीढ़ी के पास है। इतिहास बताता है की अगली पीढ़ी में हमेशा भविष्य की समस्याओं का समाधान किया है। जैसे-जैसे समय बिकता है, समाज में बदलाव लाना जरूरी हो जाता है। युवा ही इस बदलाव को आगे बढ़ा सकते हैं। हमारे राष्ट्र के लिए कई परिवर्तन, विकास ,समृद्धि और सम्मान लाने में युवा सक्रिय रूप से शामिल हुए हैं। इतना ही नहीं समाज को बेहतर बनाने और राष्ट्र के निर्माण में सर्वाधिक योगदान युवाओं का ही होता है। भारत में युवाओं का एक समृद्धि इतिहास है। प्राचीन काल में आदि गुरु शंकराचार्य से लेकर गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी ने अपनी युवावस्था में ही धर्म और समाज सुधार का बीड़ा उठाया था। उदाहरण के तौर पर भारत की आजादी में अनेक युवाओं ने अपना योगदान दिया और कई युवाओं ने बलिदान तक दिया। इसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।
“मेहनत करने वालों की सफलता पक्की होती है
युवाओं के हाथ में ही तो देश की तरक्की होती है”
डॉ मीना कुमारी परिहार