
भाषा संवाद करने का माध्यम हैं । हिंदी भाषा को हमारे देश की राष्ट्र भाषा घोषित किया गया था, क्योंकि भारत में अलग अलग प्रांतों में अनेक प्रकार की भाषाएं एवम बोलियां बोली जाती हैं। हर प्रांत की अपनी एक बोली है आपसेमें संवाद करने के लिए। इसलिए ही हिंदी भाषा को राष्ट्र भाषा घोषित किया गया की पूरे भारत के लोग अगर किसी भी प्रांत के लोगों से संवाद करें तो उन्हें एक दूसरे से संवाद करने में कोई दिक्कत नहीं हों। हिंदी हमारी राज भाषा हैं , राजकीय कोई भी पत्र हिंदी भाषा में ही होता हैं। लेकिन अब हिंदी भाषा का चलन कम हो गया हैं । हिंदी की जगह हम अंग्रेजी को ज्यादा महत्व देने लगें हैं। अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होना चाहिए लेकिन उसे अनिवार्य मत कीजिए हिंदी को कीजिए । भारत के कई प्रांतों में हिंदी को कोई समझता तक नहीं हैं। लोगों को या तो स्थानीय भाषा आती हैं या वो अंग्रेजी भाषा को समझेंगे क्योंकि स्कूलों में वही पढ़ाई जाती हैं, हिंदी को तो हम भूल ही गए हैं। हिंदी हमारी मातृ भाषा हैं। हिंदी भाषा में स्वर, व्यंजन,मात्राएं अलंकार, नवरस होते हैं । हिंदी में गद्य में कहानी, आलेख, सस्मरण, आत्मकथा, नाटक, एकांकी ऐसी और भी रचनाएं होती है उसी तरह पद्य में भी , कविता, चौपाई, मुक्तक, दोहा ,छंद, सोरठा, गीत जैसी खुबसूरत अलंकारों से सजी रचनाएं होती हैं। जिसे हम भूलते चले जा रहे हैं। हिंदी भाषा को हर स्कूल में अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाना चाहिए ताकि भारत के लोग एक दूसरे से संवाद करने के लिए किसी विदेशी भाषा का उपयोग नहीं करना पड़े। भाषाओं का ज्ञान होना अच्छी बात है लेकिन मातृ भाषा को भूलकर किसी और भाषा का प्रचलन होना ये कहां तक सही हैं? हिंदी भाषा हमारी मां समान है और सबको अपनी मां प्यारी होती हैं, अपनी भाषा को भूलिए मत चाहे विदेशी कितनी ही भाषाओं का ज्ञान आप कर लें । हिंदी को सर्वोच्च रखिए।।
जय हिंद
जय माता जी की
मौलिक रचना
विद्या बाहेती महेश्वरी राजस्थान।