
(आर. एस. लॉस्टम)
पहरेदार बन बैठा है तिजोरी का चोर,
हिसाब माँगता फिरता है, जो खुद है
बेईमान और घूसखोर।
कल भी लूटता था, आज भी लुटेरा है,
बस फर्क सिर्फ इतना है—आज वो नेता है।
रोज़ भय और भरम फैलाता फिरता है,
सच को झूठ और झूठ को सच बताता फिरता है।
दूसरों का निवाला खा गया,
गाय का चारा भी खा गया है।
खुद को ईमानदार बताकर
सबको भरमाता फिरता है।
बड़ा ही मेहनती इंसान है बेचारा,
किसी की भी संपत्ति को अपना बताता है।
बहुत कुछ त्याग किया है उसने,
देश को हर जगह गिराता फिरता है।