Uncategorized
Trending

मेरे कृष्ण

  निमिलित नयन बांसुरी बजाते

जब भी तुम्हें देखती हूं,
मुझे आभास होता है,तुम्हारे
होठों की हल्की सी हंसी में
कहीं दर्द छुपा होता है।
वह दर्द जो तुम कहीं कह ना सके,
तुम्हारी बांसुरी की तान
धीमें सुरों में कह जाती है।
गोपियों संग मथुरा में जब थे,
तब तुम्हारी बांसुरी कुछ
अलग सुर में गाती थी।
प्यार से ” राधा –राधा” गूंजाती थी–
कितनी विचित्र सी बात है ना,
आज तुम्हारे पास राजपाट है,ऐश्वर्य है,
द्वारकाधीश कहलाते हो,
पर प्यार भरे सुर में बांसुरी
नहीं बजा पाते हो, न हीं अपनी टीस,
अपना दुख किसी को बता पाते हो!!
तुम द्वारकाधीश जो हो!!!
अपने प्यार और राधा के साथ
शायद तुम अपनी बांसुरी के स्वर भी
मथुरा में छोड़ आए हो!!
मेरे मनभावन कृष्ण,
मैं भौतिक कुछ नहीं मांगूंगी तुमसे आज।
बस मेरे मन के कोने-कोने में
तुम और सिर्फ तुम बसे रहना कृष्ण।
मन ही मन तुमसे बात कर सकूं,
सुख में भी तुम्हें स्मरण कर सकूं,
जब आखिरी सांस आवे तो
तुम्हारे चरणों का ध्यान कर सकूं।
मेरे कृष्ण– मेरी बात रखना जरूर

सुलेखा चटर्जी भोपाल

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *