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लॉकडाउन का प्यार

(मोहब्बत मिलने का नाम है या अधूरे रहने का कारण, इस बात को टाल जाना ही बेहतर)
मुंबई का एक स्टेशन धारावी ऐसा नाम जो हर कोई जानता है सब इस नाम से परिचित है। इसी धारावी में रहने वाले लोगों में अपने आप में मस्त रहने वाला हरफन मौला हमारी इस कहानी का नायक राघव जो सेठ लच्छू दास हलवाई की दुकान पर मंगोड़े तलता है इसी दुकान के पास तिरंगा चौक पर मस्जिद के सामने फुटपाथ पर एक दुकान लगती है सस्ते कपड़े की जो हरिया लगता है। उसकी बेटी है हमारी कहानी की नायिका हेमा जो हरिया का इस दुकान को चलाने में मदद करती थी।
दोनों कभी कॉलेज में साथ पढ़ा करते थे, पर परिवार की जिम्मेदारियां ने दोनों को बांध के रख दिया , उनका मिलना आपस में बंद हो गया,फिर भी
हर दिन अच्छे से बीत रहा था, लेकिन एक दिन वो मनहूस दिन भी आ गया। जब पूरा देश महामारी में उलझ गया और देश के हालत देखते हुए सरकार को लॉकडाउन लगाना पड़ा।। कितना भी सोचो, करने जाओ कभी कुछ अच्छा होता है तो कुछ बुरा । जहां लॉकडाउन लगा सारी दुकानें बंद हो गई किंतु राघव घर से ही मंगोड़े बेचने का काम चालू कर दिया था और हरिया और हेमा बेरोजगार हो गए। उनकी फुटपाथ पर लगती दुकान कहां लगेगी यह सोच कर एक दिन अपने घर के पास बने पार्क की बेंच पर बैठी थी तभी उसकी नजर एक घर पर पड़ी
जहां लोगों की आवाज की वजह से ना चाहते हुए भी किसी की भी नजर उसे तरफ चली जाए , उसने भी पास जाकर देखा तो कोई मुंह पर कपड़ा बांध के लॉकडाउन में भी मंगोड़े तल रहा है,घर के आंगन में।। हेमा को यह देख कर आश्चर्य हुआ कि वो इंसान बड़ी सी कढ़ाई पर वह भी भर गर्मी में , मंगोड़े तल रहा है और बाहर लोगों की भीड़ लगी हुई है। हेमा भी उठ पास पहुंच गई जहां पहले से ही भीड़ लगी हुई थी। हेमा ने गौर से देखा यह क्या यह तो रघु है जो उसके साथ कॉलेज में पढ़ा करता था। जिसके साथ हेमा की बहुत गहरी दोस्ती थी लेकिन दूर होना जरूरी रहता है हर कहानी में यहां भी ऐसा ही कुछ हुआ था पैसे की तंगी ने राघव को हेमा से दूर कर दिया। हेमा भी राघव को लगभग भूल सी गई थी किंतु अचानक आज राघव का दिखाना उसकी पुरानी यादों को ताजा कर गया। हेमा राघव का घर दूसरे के सामने था । किंतु मुंबई जैसे शहर में अपने जीवन यापन के लिए भाग दौड़ करना जरूरी है किंतु इस लॉकडाउन ने हेमा को राघव दोबारा मिला दिया, हेमा आज वह गली पार कर जो उसने इतने सालों में नहीं की।। राघव के पास पहुंच के वह बोली मंगोड़े कैसे दिए राघव भी इतने साल बाद हेमा की आवाज सुनकर चौंक गया । उसे अपनी आंखों पर विश्वास न हुआ। कि उसके सामने उसका अधूरा प्यार खड़ा था।। वह अपने ग्राहकों को निपटा के हेमा के पास आया और बोला कहां थी तुम अब तक मुझे मिली क्यों नहीं। हेमा क्या बोलती है शर्मा कर अपनी नज़रें नीचे कर बोली बड़ी अच्छी खुशबू आती है तुम्हारे मंगोड़े की मुझे पता नहीं था कि इस महक के मालिक तुम हो। पहले भी तुम्हारे पास आकर जिंदगी महक जाया करती थी आज भी कुछ ऐसा लगा की तुम्हारे पास आकर कुछ अधूरी यादें आज पूरी हो जाएगी और इस लॉकडाउन के बहाने से मैं रोज तुमसे मिलने चली आऊंगी।। क्योंकि अब तक वक्त की कमी की वजह से बेवजह मैं तुमसे दूर रही मुझे तो पता नहीं था कि तुम सामने हो , मैं ही इस समय को जाया कर गई।। इस लॉकडाउन में कुछ अच्छा हुआ हो या ना हुआ हो मुझे मेरा खोया हुआ प्यार दोबारा मिल गया।।।
नीरज कुमार “नीर” की लिखी स्वरचित कहानी ..
लॉकडाउन का प्यार…

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