
विधा : भोजपुरी व्यंग्य
दिनांक : 31 जुलाई , 2025
दिवा : गुरुवार
देखलीं सत्ता सुख कलकत्ता में ,
बड़ा शक्ति बा पीपल के पत्ता में ।
मन लालायित सुख पावे खातिर,
कईसे आईं हमहूॅं एह सत्ता में ।।
बड़ा बढ़िया खेल ततई तत्ता में ,
कवन बुद्धि लगाईं बुद्धिमत्ता में ।
चलाईं हमरो के अब जत्था में ,
महिमा बड़ा कलकत्ती अत्ता में ।।
डर बा गिर ना जाईं हम खत्ता में ,
या बदल जाईब हमहूॅं गत्ता में ।
एक बेर जीत के आ जाईं हमहूॅं ,
बना के रहब मधमाछी छत्ता में ।।
रहब हमहूॅं आपन एकता बनाके ,
बीच में किनहूॅं के टपके ना देहब।
रोवल धोवल त बात बा दूर के ,
किनहूॅं के तनी फफके ना देहब।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )
बिहार