
अपने और अपने भविष्य के लिए सभी सुंदर सपने देखते हैं। यह स्वाभाविक ही है कि हर कोई अपने लिए उत्कृष्ट की ही वांछा करता है। सर्वश्रेष्ठ के पीछे भागना एक इंसानी फितरत है। उसके लिए प्रयास और परिश्रम में भी हम सभी कभी कमी नहीं करते हैं। इतिहास साक्षी है कि मानव अपने ज्ञान और बुद्धि बल से प्रयास करते हुए प्राचीन आदिम युग से आज इस आधुनिक युग तक की यात्रा कर चुका है।
आवश्यकता आविष्कार की जननी है। इस पर ही चल कर और अपने सपनों का पीछा करते हुए ही इंसान आज यहां तक पहुंच चुका है। परंतु फिर भी कुछ ऐसा है जो हमारे परिश्रम पर अचूक निगाह रखता है। कोई अदृश्य शक्ति है जो स्वीकृति देती है।
इसे ही हम नियति या destiny कहते हैं।
” Destiny is the supreme power.”
हमारे भाग्य पर नियति ही शासन करती है। हजारों ख्वाहिशें और तमन्नाएं इस पर निछावर होती हैं। तब कहीं जाकर सफलता के स्वर्णिम पुष्प खिलते हैं। मानवता की खोज पूरी होती है। प्रयास अपने होते हैं। बाकी सब हरि इच्छा। पूरी हो जाए तो बहुत अच्छा। न पूरी हो तो और भी अच्छा …. किंचित अधिक प्रयत्न करने की आवश्यकता।
संध्या दीक्षित