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“रिश्तों की दो आँखें – मित्र और बहन”


(मित्रता और बहिन दिवस पर समर्पित भावपूर्ण कविता)

एक हाथ जो थामा बचपन में,
वो बहन थी, लोरी की धुन-सी।
एक कंधा जो चला सदा संग,
वो मित्र था, छाया की गुन-सी॥

बहन ने बाँधी राखी हृदय पर,
कभी डाँटा, कभी स्नेह से सुलझाया।
मित्र ने थामा मौन का आंचल,
हर मोड़ पर साथ ही समझाया॥

बहन — जो बिना कहे समझे,
हर पीड़ा की सच्ची साक्षी है।
मित्र — जो मेरे कष्ट पर हँस दे,
जो पीठ थपथपाकर हिम्मत दे॥

एक ने सहेजा हर सपना मेरा,
दूजे ने थामा जब भी मैं गिरा।
एक ने सभी पर्वों में रंग भरे,
दूजे ने मौसमों में गीत पिरोया॥

बहन – उस घर की आत्मा है,
जहाँ स्मृतियाँ चुपके से हँसती हैं।
मित्र – उस पथ की रोशनी है,
जहाँ साँझें कभी थमती नहीं॥

आज दोनों को दिल से प्रणाम,
इन रिश्तों ने दिया जीवन को नाम।
बहन और मित्र – दो अमूल्य रत्न,
बिन इनके अधूरा हर आयाम॥

योगेश गहतोड़ी (ज्योतिषाचार्य)
नई दिल्ली – 110059

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