
जाड्यं धियो हरति,
सिंचति वाचि सत्यं,
मानोन्नतिं दिशति, पापमपाकरोति।
चेतः प्रसादयति,
दिक्षु तनोति कीर्तिं,
सत्संगतिः कथय किं
न करोति पुंसाम्॥
अच्छे मित्रों का साथ बुद्धि की जड़ता को हर लेता है, वाणी में सत्य का संचार करता है, मान और उन्नति को बढ़ाता है और पाप से दूर करता है। मन को प्रसन्न करता है और (हमारी) कीर्ति को सभी दिशाओं में फैलाता है। आप ही कहें कि अच्छी संगति मनुष्यों का कौन सा भला नहीं करती (अर्थात सब भला करती है)।
मित्रो, आज के इस कलयुग में जब मनुष्य इतना स्वार्थी हो गया है कि वह सिर्फ अपने ही बारे में सोचता है, ऐसे में यदि कोई सच्चा मित्र मिल जाए तो दुनिया से स्वार्थ, बुराई, तनाव, अवसाद जैसी बीमारियां आदि सब ही समाप्त हो जायें।
यदि एक सच्चा मित्र मिल जाए तो वह अपने मित्र की बुद्धि को सही राह पर लेकर आ सकता है। यदि वह कोई गलत काम करने जा रहा हो तो उसे रोकता है। उसे झूठ बोलने से रोकता है और सदा सत्य की ओर प्रेरित करता है।
एक सच्चा मित्र ही तो होता है जो सबके सामने अपने मित्र का मान सम्मान बढ़ाता है अर्थात सबके सामने उसकी तारीफ़ करता है। उसे गलत काम करने से रोकता है। उसे हर समय प्रसन्न रखने की कोशिश करता है अर्थात उसे हर दुःख से दूर रखने की कोशिश करता है। सभी ओर उसका यश, उसका नाम रोशन करता है।
मित्रों! एक सच्चा मित्र ही अपने मित्र के लिए कुछ भी कर सकता है।उसे कभी नीचा नहीं देखने देगा, हमेशा उसे बुरे रास्ते से हटा कर सच्चा मार्ग दिखायेगा, पर साथ ही साथ उस व्यक्ति को भी अपने मित्र पर भरोसा होना चाहिए कि वह उसके लिए सदा भला ही सोचेगा।
मित्रों! आजकल किसी पर भी भरोसा करना इतना आसान नहीं है। ऐसे में मित्रों का चुनाव बहुत सोच समझ कर करना चाहिए।
एक सच्चा मित्र ही तो अपने मित्र की जिंदगी को संवार सकता है।
सभी मित्रों को मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएँ। हमारी मित्रता श्री कृष्ण और सुदामा जी की मित्रता की तरह हमेशा क़ायम रहे।
डा० कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’, ‘विद्यावाचस्पति’
लखनऊ: 03 अगस्त 2025