
।। क्या विना यज्ञ जनेऊ {उप’वीत} धारण किये हम ब्राह्मण हैं ? ?? ??? ।।
सदोपवीतिना भाव्यं सदा बद्धशिखेन च ।
विशिखो व्युपवीतश्च यत् करोति न तत्कृतम् ।।
अर्थात् — द्विजों को
सदा यज्ञोपवीत
धारण करना
चाहिये ।
सदैव शिखा में ग्रन्थि
लगाये रखनी
चाहिये ।
शिखा तथा
यज्ञोपवीत के बिना
वह जो कोई भी कर्म करता है ,
वह निष्फल होता जाता है ।।
स्नान ,
दान ,
जप ,
होम ,
सन्ध्या ,
देवपूजन आदि
समस्त नित्यनैमित्तिक कर्मों में,
शिखा में ग्रन्थि {गांठ}
अवश्य लगी होनी चाहिये ।।
स्नाने दाने जपे होमे सन्ध्यायां देवतार्चने ।
शिखाग्रन्थिं सदा कुर्यादित्येतन्मनुरब्रवीत् ।।
यदि किसी रोग या वृद्धावस्था के कारण शिखा स्थान पर के बाल गिर गये हों तो,
उस स्थान पर कुशा
धारण करना चाहिये ।।
अपने सनातन की रक्षा हेतु वैश्य, क्षत्रिय एवम् ब्राह्मण यज्ञोपवीतः अर्थात् गायत्री को अपने कन्धे पर सुसज्जित रखें ।।
हरिकृपा ।।
मंगल कामना ।।