
जीवन सीमित,आकांक्षाएं,
इच्छाएं सीमाहीन।
इस बीच जीवन जीना और
चाहना नित् नवीन।
इच्छापूर्ति हेतु आपाधापी,
उलझन का गरल पान,
राग द्वेष,अशांति, है
मनुष्य सत्य से अनजान।
कुछ अशांति भुक्त, हो
कर्तव्य पथ विमुख,
निकले सत्य और शिव की खोज में प्रमुख।
पथ की बाधाओ और पाहनों ने
समझाया,कर्तव्य पालन ही शिव है,
शिव अवश्य ही कठिन और
कठोर है पर सुंदर है।
सुलेखा चटर्जी