Uncategorized
Trending

सत्य ही शिव है, शिव ही सुंदर है।

जीवन सीमित,आकांक्षाएं,
इच्छाएं सीमाहीन।
इस बीच जीवन जीना और
चाहना नित् नवीन।
इच्छापूर्ति हेतु आपाधापी,
उलझन का गरल पान,
राग द्वेष,अशांति, है
मनुष्य सत्य से अनजान।
कुछ अशांति भुक्त, हो
कर्तव्य पथ विमुख,
निकले सत्य और शिव की खोज में प्रमुख।
पथ की बाधाओ और पाहनों ने
समझाया,कर्तव्य पालन ही शिव है,
शिव अवश्य ही कठिन और
कठोर है पर सुंदर है।
सुलेखा चटर्जी

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *